नेपाल की सरकार ने 100 रुपये के नए नोट को छापने के लिए मंजूरी दे दी है जिसमें जो मानचित्र होगा उसमें विवादित स्थल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल के हिस्से के रूप में दर्शाया जाएगा।
नेपाल ने भारत के कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को लेकर फिर से विवाद पैदा कर दिया है। चीन के हाल के नक्शे में इन भारतीय क्षेत्रों को हिंदुस्तान में ही दर्शाया गया है, लेकिन नेपाल ने इसे अपना हिस्सा बताते हुए चीन के नक्शे का विरोध किया है।
भारत के लिपुलेख समेत कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का अभिन्न हिस्सा बताकर पूर्व राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने एक बार फिर बुझी चिंगारी को हवा दे दी है। इसके पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओपी शर्मा कोली भी यही हरकत कर चुके हैं, जिसके चलते भारत और नेपाल के पारंपरिक रिश्तों में काफी तनाव आ गया था।
पहले तो नेपाल ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख सहित 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को जबरन अपने नक्शे में शामिल किया और अब वह इन इलाकों में नेपाली नागरिकों के घुसपैठ को सही बता रहा है।
भारत के साथ कालापानी सीमा विवाद का मुद्दा उठाने वाला नेपाल अब चीन की चालबाजी में फंस चुका है। मिली जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ समय से एक के बाद एक भारत विरोधी कदम उठा रही नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने इस चालबाजी को दबाने के लिए कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा का मुद्दा उठा था।
भीरत-नेपाल के बीच जारी सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे बीच असाधारण संबंध हैं, हमारे बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है और दुनिया की कोई ताकत इसे तोड़ नहीं सकती।
उत्तराखंड के विद्वानों ने आजादी से पहले लिखी गई पुस्तकों और हस्तलेखों का हवाला दिया जिसमें कालापानी को काली नदी का स्रोत दिखाया गया है। ये उन इलाकों पर भारत के दावे में अहम कारक हैं जिनको नेपाल ने अब अपने हिस्सों के तौर पर मानचित्र में शामिल कर लिया है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव के बीच पिछले एक महीने से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। इस मसले को बातचीत से हल करने पर काम जारी है। वहीं चीन अब दोनों देशों की लगती दूसरी सीमा तक तनाव फैलाने लगा है।
सरकार ने लिपुलेख व्यापार चौकी से होने वाले भारत-चीन व्यापार की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है।
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