एलआईसी की एनएमडीसी के वोटिंग अधिकार वाले इक्विटी शेयरों में हिस्सेदारी 22,31,79,025 शेयरों से घटकर 16,40,59,791 शेयर रह गई है, जो कुल वोटिंग पूंजी का 7.6 प्रतिशत है।
इस इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत गंभीर बीमारियों जैसे गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय कैंसर और हृदय रोग आदि पता चलने पर हेल्थ कवर का 100 प्रतिशत तक का तत्काल भुगतान ऑफर किया जाता है।
एलआईसी बीमा सखी योजना के तहत किसी व्यक्ति की नियुक्ति को निगम के कर्मचारी के रूप में वेतनभोगी नियुक्ति नहीं माना जाएगा। मौजूदा एलआईसी एजेंट या कर्मचारी के रिश्तेदार एलआईसी बीमा सखी के रूप में भर्ती होने के पात्र नहीं होंगे।
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की सबसे बड़ी वजह है आपके परिवार की आर्थिक सुरक्षा। चूकि परिवार आपके कमाने की वजह से चल रहा होता है या यूं कहें कि आपकी आय पर निर्भर है तो ऐसे में अपने जीवनसाथी, माता-पिता और बच्चों की सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है।
लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस दोनों के अपने फायदे हैं। यदि आप सुरक्षा के साथ-साथ निवेश का भी लाभ चाहते हैं, तो लाइफ इंश्योरेंस आपके लिए सही विकल्प हो सकता है। वहीं, यदि आप कम प्रीमियम में अधिक सुरक्षा चाहते हैं और निवेश की आवश्यकता नहीं है, तो टर्म इंश्योरेंस आपके लिए बेहतर विकल्प है।
एलआईसी ने 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 18,082 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया, जबकि 30 सितंबर, 2023 को खत्म छमाही के लिए यह 17,469 करोड़ रुपये था।
गुरुवार सुबह 11.12 बजे तक एसआईसी के शेयर 5.05 रुपये (0.54%) की गिरावट के साथ 929.90 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहे थे। बुधवार को 934.95 रुपये के भाव पर बंद हुए इंश्योरेंस कंपनी के शेयर आज गिरावट के साथ 931.55 रुपये के भाव पर खुले।
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के डाटा के मुताबिक सितंबर 2024 में कुल 32,17,880 नई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां जारी की गईं, जबकि पिछले साल सितंबर 2023 में कुल 22,11,680 लाख नई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां ही जारी की गई थीं।
इंश्योरेंस में 'सरेंडर वैल्यू' का मतलब उस राशि से है जो पॉलिसी की मैच्यॉरिटी डेट से पहले पॉलिसी सरेंडर करने पर इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से पॉलिसीहोल्डर को दी जाती है। अगर कोई पॉलिसीहोल्डर पॉलिसी मैच्यॉर होने से पहले उसे सरेंडर करने का फैसला करता है तो उसे इनकम और सेविंग्स का हिस्सा दिया जाएगा।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी जुलाई में इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।
टियर 1 और टियर 2 शहरों से 20 से 50 साल की उम्र के 800 लोगों पर किए गए सर्वे में सामने आया कि 64% को इस बात का पछतावा था कि उन्होंने टर्म इंश्योरेंस लेने में देरी कर दी।
एलआईसी के ग्राहकों, एजेंटों और कर्मचारियों के लिए बेहतर जुड़ाव और डेटा आधारित पर्सनलाइजेशन एक्सपीरियंस देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। एलआईसी ने बैंकिंग, वित्तीय और बीमा क्षेत्रों में कंपनी की गहन विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर चुना।
एलआईसी को जीएसटी डिमांड ऑर्डर के मुताबिक, एलआईसी से जीएसटी के तौर पर ₹2,94,43,47,220, ब्याज के तौर पर ₹ 2,81,70,71,780 और पेनाल्टी के तौर पर ₹ 29,44,73,582 की डिमांड की गई है।
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि सिर्फ लाइफ इंश्योरेंस होना ही जरूरी नहीं है। यहां मायने ये रखता है कि आपका लाइफ इंश्योरेंस कितना कवर देता है। यहां हम ये जानेंगे कि क्या आपके परिवार के लिए 1 करोड़ रुपये का लाइफ इंश्योरेंस काफी है?
एलआईसी ने वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-जून के दौरान शेयर बाजार में करीब 38,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। पिछले साल पहले इसी अवधि में ये राशि 23,300 करोड़ रुपये थी।
ममता बनर्जी ने कहा कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पर लगाया जाने वाला जीएसटी जनविरोधी है और इससे आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।
अगर आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूएलआईपी) खरीद रहे हैं तो अलग-अलग शुल्क, फंड ऑप्शन, फंड स्विच करने से जुड़े सवाल जरूर पूछें। जब भी आप बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए फॉर्म भर रहे हों तो इसे पूरी तरह से और सही जानकारियों के साथ भरें।
सेबी ने 14 मई 2024 को लेटर के जरिए भारतीय जीवन बीमा निगम को 10 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए तीन साल का अतिरिक्त समय देने के फैसले की जानकारी दी।
हम आपको बता दें कि ऐसा ही जबरदस्त फॉर्मूला है, जिसके जरिये आप आसानी से पता कर सकते हैं कि आपको कितना इंश्योरेंस कवर चाहिए।
भारतीय जीवन बीमा निगम ने यह फैसला बीमा नियामक आईआरडीएआई के इस संबंध में 28 मार्च 2024 को जारी निर्देश के मुताबिक लिया है।
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