भारत और चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे तनाव के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बढ़ा दी है। लेकिन, इसके साथ ही दोनों देशों के सोशल मीडिया यूजर्स के बीच डिजिटल परिदृश्य में एक अलग ही तरह का धारणा युद्ध शुरू हो गया है।
माना जा रहा है कि चीन ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2500 सैनिकों को तैनात किया है और धीरे-धीरे अस्थायी ढांचा और हथियारों को बढ़ा रहा है। हालांकि संख्या को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है।
सेना ने एक बयान में कहा, 'वीडियो में दिख रही चीजें प्रामाणिक नहीं हैं। इसे उत्तरी सीमाओं पर स्थिति से जोड़ने का प्रयास दुर्भावनापूर्ण है।'
सैन्य सूत्रों ने बताया कि चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है। सूत्रों ने बताया कि चीन के आक्रामक रवैये का सामना करने के लिए भारतीय सेना ने भी पूर्वी लद्दाख में अपने सैनिकों, वाहनों और तोपों की संख्या बढ़ाई दी है।
श्रीवास्तव ने याद दिलाया कि दोनों देशों ने 1993 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति और स्थिरता के रखरखाव पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए वह चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहा है।
आज 1962 वाला भारत नहीं है जब चीनी सैनिकों ने हमारे देश पर हमला करके एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया। चीनी रणनीतिकारों को पता है कि आज भारत तुरंत और बहुत ही कड़ा पलटवार करेगा।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि जिन दो इलाकों में स्टैंडऑफ चल रहा है उनमें एक मोर्चे पर भारत काफी ताकतवर है और वहां चीनी सैनिकों के घुसने की उम्मीद ज्यादा नहीं है।
LAC पर चीन से बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NSA अजीत डोभाल और CDS बिपिन रावत के साथ बैठक की।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, शी ने सेना को आदेश दिया कि वह सबसे खराब स्थिति की कल्पना करें, उसके बारे में सोचे और युद्ध के लिए अपनी तैयारियों और प्रशिक्षण को बढ़ाए
भारतीय की ओर से क्षेत्र में सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं। भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण से चीन को आपत्ति है।
ताइवान की सरकार को बीजेपी द्वारा समर्थन देने के बाद चीन ने भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है लेकिन चीन यहां भूल जाता है कि वो खुद भारत के ऐतराज के बावजूद PoK में आर्थिक गलियारा बना रहा है।
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में दो महीने बंद रहने के बाद घरेलू उड़ान सेवा बहाल होने पर सोमवार को 11 उड़ानें 732 यात्रियों को लेकर जम्मू और श्रीनगर पहुंचीं।
नाम उजागर न करने की शर्त पर एक उच्च सैन्य अधिकारी ने कहा, “क्षेत्र में भारतीय सेना चीन से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में है।”
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग सो झील और गलवान घाटी में चीनी सेना तेजी से अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रही है और इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह भारतीय सेना के साथ टकराव की स्थिति शीघ्र समाप्त करने के लिए तैयार नहीं है।
आर्मी ने स्पष्ट किया है कि इस वक्त पैंगोंग लेक के पास फेसऑफ की परिस्थिति नहीं है और न ही यहां सैनिकों का जमावड़ा है।
सेरिंग ग्यालपो ने कहा कि यूटी प्रशासन स्थानीय जनता की समस्याओं के प्रति अगंभीर रवैया अख्तियार किए हुए है। बाहर फंसे लद्दाख के लोगों की घरवापसी नहीं हो पा रही है।
अधिकारियों ने इस मामले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 4 हफ्तों में जिले में जंगली जानवरों के हमलों में 170 मवेशियों की जान जा चुकी है।
केंद्र शासित प्रदेश में संक्रमण के 11 मामले लेह में जबकि तीन करगिल जिले में दर्ज किए गए थे।
देश में कोरोना वायरस से शुरुआती दौर में प्रभावित लद्दाख में 15 दिनों के बाद पहला कोरोना वायरस का मामला सामने आया है। यहां एक महिला कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाई गई है।
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