संपादकीय में यह भी कहा गया कि देश ने 1962 की गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा। इसमें कहा गया, “हम 1962 की तुलना में आज ज्यादा मजबूत हैं। अगर (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू को दोषी ठहराने वाले लोग आत्मावलोकन करें, तो 20 जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।”
भारतीय सेना ने कहा कि भारतीय सैनिक उस स्थान पर गए थे, जहां तनाव हुआ था। भारतीय जवान वहां बिना किसी दुश्मनी के चीनी पक्ष के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार के साथ केवल यह जांचने के लिए गए थे कि क्या वे वादे के अनुसार डी-एस्केलेशन समझौते का पालन कर रहे हैं या नहीं।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद की सबसे बड़ी पुत्री और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती ने एक ट्वीट साझा किया, "जो सवाल दागेंगे, साहब उससे भागेंगे।"
चीन और भारत के बीच सोमवार को हुई हिंसक भिड़ंत के बीच चीन का एक और झूठ सामने आ गया है।
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों की खूनी मुठभेड़ के बाद से अभी तक भी वहां के हालातों में सुधार नहीं आया है। अब लद्दाख में भारतीय सेनाएं अलर्ट पर हैं।
कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राहुल ने देश में कोरोना महामारी और देश के वीर सैनिकों की शहादत के सम्मान में यह निर्णय लिया।
चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी चीन के जवानों के हताहत होने के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि चीन के अधिकारिक मीडिया ने चीनी सैनिकों के हताहत होने की बात भी स्वीकार की है, लेकिन कितने सैनिक मारे गए या घायल हुए, यह उल्लेख नहीं किया है।
झाओ से उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि चीनी सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू और अन्य भारतीय सैनिकों पर लोहे की छड़ों तथा कंटीली तार लगे डंडों से बर्बर हमला किया और क्या यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे ढांचों को ध्वस्त करने पहुंचे थे।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एलएसी पर शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों को दी श्रद्धांजली देते हुए परमात्मा से सभी वीर शहीदों को अपने निज धाम में निवास देने की प्रार्थना की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बुधवार देर रात इस बारे में देर रात कहा कि चीन का 'बढ़ा-चढ़ाकर किया गया' दावा दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति से उलट है।
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प पर अपने पहले बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत शांति चाहता है किंतु यदि उकसाया गया तो वह माकूल जवाब देने में सक्षम है।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 सैन्य कर्मियों में बिपुल रॉय भी शामिल थे। रॉय का परिवार मेरठ में किराये के मकान में रहता है।
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच बातचीत खत्म हो गई है। यह बातचीत अनिर्णायक रही क्योंकि अभी तत्काल कोई मतभेद नहीं सुलझा है और चीनी सेना की मौजूदगी की स्थिती में कोई बदलाव नहीं हुआ।
इंडिया TV को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक़ लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद कल एक बार फिर से मेजर जनरल रैंक के अफसरों की बातचीत होगी।
पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के मद्देनजर चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चे पर स्थित ठिकानों को बुधवार को हाई अलर्ट कर दिया गया।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऊंचाई वाले इलाके में एक संकीर्ण पहाड़ी रास्ते पर चीनी सेना द्वारा निगरानी चौकी स्थापित किए जाने की वजह से भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुयी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि भारत हमेशा अपने उन सैनिकों के प्रति ऋणी रहेगा जिन्होंने लद्दाख के गलवान में देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी।
कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक के जरिए विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले सारे सवालों का जवाब दे सकते हैं। ताकि चीन से विवाद के मसले पर किसी तरह का किसी को भ्रम न हो।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार रात लगभग 120 भारतीय सैनिकों (करीबन एक पूरी कंपनी) को घेर लिया और उन पर कपटपूर्ण तरीके से बर्बरतापूर्ण हमले किए।
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