चीन का यह लेख साफ बताता है कि भारत के दबाव के आगे वह बौखला गया है और इसी बैखलाहट में उसने लेख में यह भी लिखा है कि अमेरिका तथा चीन के बीच बिगड़े रिश्तों का फायदा भारत उठाना चाहता है।
लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बना गतिरोध और कम हो गया है, 31 जुलाई को कमांडर स्तर की वार्ता के बाद 4-5 अगस्त को गोगरा पोस्ट से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट गई हैं।
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर हाल में हुई भारत-चीन सैन्य वार्ता रचनात्मक थी और दोनों पक्ष शेष मुद्दों का समाधान तेज गति से करने पर सहमत हुए।
लद्दाख के पास भारत-चीन सीमा पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए भारत और चीन के बीच 12वें राउंड की बैठक शनिवार को होने जा रही है, इंडिया टीवी को सूत्रों से यह जानकारी मिली है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए तथा सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।
लद्दाख में LAC के पास चले सीमा विवाद और तनातनी के बाद सीमा पर सैनिक कम करके चीन, भारत के साथ दोस्ती की बातें कर रहा है लेकिन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। तनातनी के बाद चीन भारत को एक और झटका देने की तौयारी कर रहा है।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक साउथ पैंगोंग त्सो से लेकर फिंगर 4 से पीछे हट गए हैं। भारत-चीन के बीच करीब नौ महीने तक चले गतिरोध पर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर हमलावर रहीं।
थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को कहा कि पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने से अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा और दोनों पक्षों के लिए यह लाभकारी स्थिति है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भी रणनीति बनायी गयी है।
चीनी सेना लद्दाख में फिंगर 4 क्षेत्र को भी खाली कर रही है, जिस पर उसने पिछले साल कब्जा कर लिया था। ऐसा होने के बाद भारत के साथ LAC पर लंबे समय से बनी हुई स्थिती अब बदल रही है।
चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे अंदरूनी इलाकों से अपने 10 हजार सैनिकों को वापस बुला लिया है। भारतीय सीमा के पास 200 किलोमीटर के दायरे से चीनी सैनिक हट गए हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कुछ अन्य सदस्यों ने रक्षा मामले की संसदीय समिति की बैठक से बुधवार को यह आरोप लगाते हुए वॉकआउट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे की बजाय सशस्त्र बलों की वर्दी के रंग पर चर्चा करने में समय बर्बाद किया जा रहा है।
भारत और चीन के बीच पिछले करीब आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में बने गतिरोध और आमने-सामने तैनात दोनों देशों के जवानों के बीच अब तक कई दौर की बैठक हुई लेकिन नतीजा नहीं निकल पाया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने एलएसी पर भारी साजो-सामान के साथ दसियों हजार सैनिकों की तैनाती कर दी है। इससे हमारे संबंधों को नुकसान हुआ है। पूर्वी लद्दाख का मसला अब बहुत बड़े मुद्दे में तब्दील हो गया है।
भारतीय सेना के शीर्ष सैन्य कमांडरों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मौजूदा सुरक्षा माहौल को संभालने के अंदाज के लिये सेना की तारीफ की। राजनाथ के बयान को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के सीधे संदर्भ में देखा जा रहा है।
इसका प्रभावी अर्थ यह हुआ कि क्वॉड के सभी सदस्य इस महा अभ्यास में शामिल होंगे। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में अगले महीने होने वाले वार्षिक युद्धाभ्यास में अमेरिका और जापान अन्य देश हैं जो शामिल होंगे।
लद्दाख सीमा पर भारतीय सैनिकों ने एक चीनी सैनिक को पकड़ा है। डेमचॉक इलाके में पकड़े गए इस चीनी सैनिक के पास से कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। चीनी सैनिक के पकड़े जाने के बाद बार-बाद युद्ध की धमकी देने वाली चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक बड़ा बयान दिया है।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़पों में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवान भी हताहत हुए थे लेकिन उसने स्पष्ट संख्या नहीं बताई।
लद्दाख पर चीन की टिप्पणी के बाद भारत ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। भारत ने साफ साफ कहा है कि चीन को भारत के आंतरिक मसलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं। उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे।
चीन की ओर से यह टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा दिए गए बयान के तीन दिन बाद आई है। पोम्पियो ने कहा था कि चीन ने भारत के खिलाफ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 60,000 सैनिकों को तैनात किया है।
भारत और चीन ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने के लिए अपनी सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों के बीच एक बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई है। दोनों देशों की सेनाएं एलएसी के पास इस साल जून महीने से आमने-सामने हैं।
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