भारतीय चरवाहों द्वारा एलएसी के पार जाने का मामला सामने आया है। इसका वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें भारतीय चरवाहे और चीनी सैनिक आपस में कुछ बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
भारत और चीन के बीच रिश्ते लगातार तनाव के दौर में चल रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर चीन के साथ भारत के संबंध असमान्य हैं। हालांकि विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों पक्षों की ओर से संबंधों को सुधारने का प्रयास जारी है। मगर अभी तक तनाव का क्रम जारी है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सीमा विवाद जारी रहने पर इसके पीछे की सच्चाई बयां कर दी है। उनके इस बयान से सियासत में हलचल पैदा हो गई है। जनरल मनोज पांडे ने बताया है कि आखिर क्यों सीमा पर बनी चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। उन्होंने कहा कि यह चुनौतियां हमें आगे भी उलझाती रहेंगी।
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे भारी तनावों के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका की यात्रा पर पहुंचे हैं। हालांकि, उन्होंने चीन की वैश्विक छवि से उलट एक अजीब बयान दिया है।
चीन ने एलएसी पर सड़कों, हवाई अड्डों और हेलीपैड का बड़ा नेटवर्क तैयार कर दिया है। चीन ने इस बुनियादी ढांचे का विकास नियंत्रण रेखा पर गलवान और तवांग में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प के बाद किया है। साथ ही सैनिकों की तैनाती भी बढ़ा दी है। पेंटागन की रिपोर्ट में दावा है कि चीन ने भारत सी लगी सीमा पर नए गांव बसाए हैं।
साल 2020 में गलवान में चीन और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प के बाद से अबतक सीमा पर तनाव बना हुआ है। चीन ने सीमा पर बड़ी तैनाती कर रखी है तो वहीं भारत की ओर से भी जवाब दिया जा रहा है।
ब्रिक्स देशों के 15वें शिखर सम्मेलन में संगठन में 6 नए देशों को एंट्री दी गई है। इस सम्मेलन में शी जिनपिंग के साथ एक ऐसा वाकया हुआ जो चर्चा का विषय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के साथ मुलाकात और बैठक हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी और जिनपिंग ने तनाव कम करने को लेकर बातचीत की।
2020 में लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच अबतक तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के अधिकारी विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत और चीन के बीच हालात लगातार नाजुक बने हुए हैं। स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन पहले सोमवार को दोनों देशों के बीच 19वें दौर की वार्ता होने जा रही है। अब 14 अगस्त को होने वाली इस कोर कमांडर स्तरीय वार्ता पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। इसकी वजह है कि चीन भारतीय सीमा पर अतिक्रमण का इरादा रखता है और वह पीछे हटने को तैयार नहीं है।
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत चीन से 'बेहद जटिल चुनौती' का सामना कर रहा है और नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई प्रयास नहीं हो।
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (एससीओ) में चीनी विदेश मंत्री छिन कांग ने भारत-चीन सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर सफेद झूठ बोला है। छिन कांग ने कहा था कि सीमा पर हालात सामान्य और स्थिर हैं, लेकिन भारत ने एससीओ के मंच पर चीन के झूठ का पुलिंदा खोल दिया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन लगातार सीमा प्रबंधन के समझौतों का उल्लंघन करता आ रहा है। गलवान घाटी और तवांग का संघर्ष उसकी इन्हीं हरकतों का नतीजा है। यही वजह है कि चीन के साथ भारत के संबंधों में लगातार कड़वाहट बढ़ती जा रही है।
G-20 में पूरी दुनिया भारत की ताकत देख रही है। जी-20 की अध्यक्षता 1 वर्ष तक भारत के पास ही रहेगी। इस दौरान भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे लेह-लद्दाख क्षेत्र में वाई-20 का सफल आयोजन कराकर चीन के मुंह पर तमाचा मारा है। भारत ने वाई-20 सम्मेलन में 30 देशों के प्रतिनिधियों के साथ सफल आयोजन किया।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी गलवान घाटी में हिंसा के करीब 3 वर्ष बाद भारत और चीन के रक्षामंत्रियों में नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए भारत ने चीन को उसकी लक्ष्मण रेखा की याद दिलाई।
चीन ने जब से अरुणाचल प्रदेश के कई गांव का अपने नक्शे में नाम बदला है, तब से भारत सीमा पर पूरा नक्शा बदलने में ही जुट गया है। ताकि चीन को यह एहसास हो सके कि यह 1962 का नहीं, बल्कि 2022 का भारत है।
बीजिंग ने भारत-चीन सीमा पर उकसावे वाले कुछ कदम उठाए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के उप सहायक एवं हिंद-प्रशांत मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने वाशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक से गुरुवार को कहा कि भारत अमेरिका का मित्र नहीं है और न ही कभी होगा।
भारत चीन सीमा पर एक बार फिर तनाव बढ़ रहा है? भारत के द्वारा लगातार कई बार LAC विवाद को सुलझाने का प्रयास किया गया है लेकिन चीनी सेना व सरकार है जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आती है।
'नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' की तर्ज पर, भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ कर दी है जो राष्ट्रीय या राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।
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