पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प वाले स्थान के पास भारत और चीन की सेनाओं के डिविजनल कमांडरों के बीच बैठक बेनतीजा रही। मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई।
पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के मद्देनजर चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चे पर स्थित ठिकानों को बुधवार को हाई अलर्ट कर दिया गया।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऊंचाई वाले इलाके में एक संकीर्ण पहाड़ी रास्ते पर चीनी सेना द्वारा निगरानी चौकी स्थापित किए जाने की वजह से भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुयी।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच सोमवार रात हुई खूनी झड़प के बाद एक बाद फिर दोनों देशों के बीच भारी तनाव का माहौल है। बढ़ते तनाव के बीच एलएसी पर हाई अलर्ट है। सेना को भी पूरी तरह तैयार कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अब कुछ कड़े कदम उठाने का समय आ गया है। हमारी ओर से कमजोरी का प्रत्येक संकेत चीनी हरकतों को और ज्यादा बढ़ावा देता है।
लद्दाख में एलएसी पर जारी संकट के बीच भारत के लिए एक बुरी खबर आई है। चीनी सेना के साथ मुठभेड़ में एक अधिकारी सहित सेना के 2 जवान शहीद हो गए हैं। सेना के अनुसार इस तनाव के बीच कोई फायरिंग नहीं हुई है।
सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने लद्दाख सीमा विवाद से निपटने को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा केंद्र सरकार की आलोचना किए जाने को ‘‘अवांछनीय एवं निंदनीय‘‘ करार दिया है।
भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दिया बयान अब तूल पकड़ता जा रहा है। पहले सशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने उनके बयानों की कड़ी निंदा करते हुए राहुल के बयानों को गलत सोच से प्रभावित और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया।
इससे पहले भारतीय सेना की तरफ से इस बैठक को लेकर आधिकारिक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि भारत-चीन बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए भारत और चीन के अधिकारी स्थापित सेना और डिप्लोमैटिक रास्तों के जरिए बात करते रहेंगे
भारत-चीन की बातचीत पर आधिकारिक बयान सामने आया है। सेना ने कहा है कि दोनों देशों के अधिकारी आपस में बातचीत करते रहेंगे।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएएसी) के भीतर घुसपैठ के चलते पूर्वी लद्दाख में फिलहाल तनाव की स्थिति जारी है।
भारत और चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे तनाव के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बढ़ा दी है। लेकिन, इसके साथ ही दोनों देशों के सोशल मीडिया यूजर्स के बीच डिजिटल परिदृश्य में एक अलग ही तरह का धारणा युद्ध शुरू हो गया है।
क्या भारत से एक और युद्ध चाहता है चीन? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लद्दाख में अपने पांव पसारने की तैयारी कर रहे चीन की चाल सबके सामने बेनकाब हो चुकी है जिसके बाद अब वह बैकफुट पर है तो वहीं अब भारत ने भी कमर कस ली है।
पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनातनी के बीच आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हो चुकी है। आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे की अगुवाई में ये बैठक चल रही है। इस मीटिंग में आर्मी के टॉप कमांडर्स हिस्सा ले रहे हैं।
LAC पर चीन से बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NSA अजीत डोभाल और CDS बिपिन रावत के साथ बैठक की।
भारत ने बृहस्पतिवार को चीन के इन आरोपों को खारिज किया कि भारतीय सैनिकों ने लद्दाख और सिक्किम में सीमा पार कर चीनी क्षेत्र में घुसपैठ की।
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनातनी की घटनाओं के कुछ ही दिन बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चीन के साथ लगने वाली सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने को प्रतिबद्ध है तथा सीमा को लेकर साझा समझ होने पर ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था।
थल सेना प्रमुख ने कहा कि स्थानीय स्तर पर बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझा लिया गया।
आर्मी ने स्पष्ट किया है कि इस वक्त पैंगोंग लेक के पास फेसऑफ की परिस्थिति नहीं है और न ही यहां सैनिकों का जमावड़ा है।
चीन का हेलिकॉप्टर अपनी ही सीमा में था लेकिन वह भारतीय सीमा के बहुत नजदीक पहुंच गया था और एयरफोर्स को जैसे ही इसकी भनक लगी तो 8 मिनट के अंदर भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान भी वहां पहुंच गया।
संपादक की पसंद