वास्तविक नियंत्रण रेखा से भले ही भारत और चीन ने अपने-अपने सैनिक हटा लिए हैं, लेकिन अभी भी दोनों देशों को कुछ इंतजार है। इसके बाद ही शांति की स्थापना हो सकेगी।
भारत-चीन के सेैनिकों ने एलएसी पर विवाद सुलझाने के बाद डेमचोक और देपांसग में साझा गश्त शुरू कर दी है। विदेश मंत्रालय के अनुसार डिसइंगेजमेंट का सत्यापन करने और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए साझा गश्त की जा रही है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि बात डिसइंगेजमेंट से भी आगे बढ़े, लेकिन उसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं सीमा से पीछे हट गई हैं। अब चरवाहों के पास पशु चराने के लिए पहले से ज्यादा चारागाह होंगे।
LAC पर बहुत बड़ा अपडेट सामने आया है। चीन की सेना LAC से पीछे हट गई है। डेपसांग और डेमचोक से दोनों सेनाएं पीछे हटीं हैं। LAC पर डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
भारत-चीन के लोकल मिलिट्री कमांडर आज LAC पर देपसांग और डेमचॉक में मिलेंगे। बृहस्पतिवार यानी 31 अक्टूबर से दोनों देशों की पेट्रोलिंग शुरू हो जाएगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहला और सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा सैनिकों की वापसी का है। दूसरा मुद्दा दोनों देशों के बीच तनाव कम करना है।
जयशंकर ने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने से आगे की बातचीत के दरवाजे खुले हैं। उन्होंने इसका श्रेय सैनिकों को दिया, जिन्होंने मुश्किल हालातों में काम किया।
भारतीय सैनिक चार्डिंग नाले के पश्चिम की तरफ पीछे की ओर जा रहे हैं और चीनी सैनिक नाले के दूसरी तरफ यानी पूरब की तरफ वापस जा रहे हैं। दोनों तरफ से करीब 10-12 टेंपरेरी स्ट्रक्चर बने हैं और दोनों तरफ से करीब 12- 12 टेंट लगे हैं, जो हटने हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज पहली चीन के साथ लगते बॉर्डर एलएसी पर आपसी तनाव कम करने और यथास्थिति पर बात की।
पीएम मोदी-जिनपिंग की वार्ता से दो पड़ोसी देशों और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत-चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति व समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा-यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व में भी योगदान देगा।
भारत और चीन लंबे अरसे बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक अहम समझौते पर पहुंचे है। दूसरी ओर AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उन्हें चीन-भारत समझौते के विवरण का इंतजार है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर बड़ा अपडेट सामने आया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी है कि दोनों देश तनाव कम करने को लेकर एक समझौते पर सहमत हो गए हैं।
भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है।
भारत-चीन एलएसी विवाद को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ी खबर दी है। उन्होंने कहा है कि विवादित क्षेत्र से दोनों देशों ने सैनिकों की वापसी का काम लगभग 75 फीसदी पूरा कर लिया है।
ब्राजील में चीन-एलएसी सम्मेलन में 17 देशों का जमावड़ा हुआ। इसमें लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों का जमावड़ा हुआ।
भारत और चीन के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक कि सैनिकों की तैनाती पूर्ववत स्थिति में नहीं हो जाती। चीन ने सीमा पर रक्तपात और हिंसा की है। साथ ही सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है। सीमा सुरक्षा से समझौता करके चीन से संबंध बहाल नहीं किया जा सकता। मलेशिया में विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही।
आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडेय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात को संवेदनशील बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि हालात संवेदनशील होने के बावजूद स्थिर है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना की मजबूती से तैनाती की गई है। जनरल पांडेय ने कहा कि युद्ध होने पर भारतीय सेना 1962 के युद्ध से बिलकुल अलग प्रतिक्रिया देगी।
भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।
भारत-चीन के बीच वास्तवि नियंत्रण रेखा पर 3 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे जबरदस्त तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 21वें दौर की सैन्य वार्ता में भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रखने के लिए सहमत हुई हैं। हालांकि विवादित क्षेत्रों का अब भी कोई हल नहीं निकल सका है।
गलवान घाटी हिंसा के 3 वर्ष बाद चीनी सैनिकों ने एक बार फिर उकसावे वाली कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी सैनिकों की इस बार भारतीय चरवाहों से भिड़ंत हो गई। मगर भारतीय चरवाहे उनसे दबे नहीं। चरवाहों की चीनी सैनिकों से जमकर कहासुनी हुई। इसके बाद अब विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है।
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