तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद आंदोलन बंद होने के बाद, एसकेएम ने घोषणा की थी कि अगर सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करने में विफल रहती है, तो आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है,
राकेश टिकैत ने कहा कि हर वर्ष 26 जनवरी को किसानों का ‘ट्रैक्टर मार्च’ निकाला जाएगा। टिकैत ने चरखी दादरी में कहा कि खाप समाज का आईना हैं और इनका गौरवशाली इतिहास रहा है।
किसान आंदोलन के कारण जिन ट्रेनों को रद्द किया गया था, आंदोलन खत्म होने के बाद रद्द की गई सभी ट्रेनों को बहाल किया जा रहा है। ऐसी 18 से अधिक ट्रेनें हैं। बता दें कि किसान आंदोलन की वजह से उत्तर रेलवे का यातायात कई दिनों तक बुरी तरह प्रभावित रहा था।
तीनों कानूनों के खिलाफ यूं तो आंदोलन की शुरुआत 2020 में हो गई थी। वर्ष 2021 से पहले ही किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल चुके थे। सरकार की ओर से भी बातचीत की पहल चल रही थी।
हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को वो फिर से केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासन की समीक्षा करेंगे। यदि केंद्र वादे पर खड़ा नहीं उतरती है तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।
किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर; लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हुए और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाए।
किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। केंद्र की सहमति के बाद 15 जनवरी को किसानों की फिर समीक्षा बैठक होगी।
SKM ने कहा, "सरकार के ताजा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है। अब सरकार के लेटरहेड पर औपचारिक संवाद का इंतजार है। गुरुवार दोपहर 12 बजे फिर से सिंघू बॉर्डर पर बैठक होगी।"
सरकार से बातचीत के लिए नियुक्त 5 किसान नेताओं की बुधवार को बैठक होगी।इसी में आंदोलन को खत्म करने या आगे की रणनीति पर फैसला लिया जा सकता है।
PM Modi के ऐलान के बाद सदन से कृषि कानून को वापस लिया जा चुका है लेकिन, किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिवार को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में किसान आंदोलन खत्म करने पर फैसला हो सकता है क्योंकि पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद अब आंदोलन जारी रखने के मूड में नहीं हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि कुछ दिन पहले सदन में एक सवाल पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार 700 मृतक किसानों (किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत) को मुआवज़ा देगी या नहीं? इसका जवाब मिला कि उनके पास किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और इस तरह सरकार ने किसानों की मांग को मान लिया।
कृषि मंत्री ने कहा, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब आंदोलन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। बड़े मन का परिचय देते हुए पीएम मोदी की अपील को मानें और किसान घर वापस लौटें।
किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अपनी पार्टी बनाएंगे उसे चुनाव लड़वाएंगे। उन्होंने कहा, "मैं पंजाब से चुनाव नहीं लड़ रहा हूं लेकिन पंजाब के लोगों को इकट्ठा करके चुनाव लड़वा रहा हूं।"
किसान संगठनों ने सरकार को अपनी मांगों पर झुकाने के लिए एक नया प्लान तैयार कर लिया है। प्लान एकदम साफ है जब तक एमएसपी समेत 6 मांगों पर मोदी सरकार फैसला नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
कंगना रनौत की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं। अभिनेत्री के खिलाफ मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज हुई है।
SKM ने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने और तीन विवादास्पद केंद्रीय कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए स्मारक बनाने की भी मांग की।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने कहा कि कानून वापस के एलान होने से एक बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में कुछ ऐसे गुट थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे।
लखनऊ के बंगला बाजार के इको गार्डन पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे।
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