सरकार के पास प्याज का 4.5 लाख टन का बफर स्टॉक है, जिसमें से अबतक 1.5 लाख टन की बिक्री की जा चुकी है। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बफर स्टॉक प्याज को पहली बार रेलवे के माध्यम से प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों तक पहुंचाया जा रहा है और इससे सप्लाई बढ़ाने में मदद मिल रही है।
इस साल मॉनसून ने खूब बारिश की है। इस साल 8 फीसदी तक अधिक देखने को मिली है। इसका फायदा खरीफ फसल की खेती करने वाले किसानों को होगा। इस कारण भविष्य में अनाज के दामों पर बढ़ने वाले दामों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कृषि भवन में 8 राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की है। इस बैठक में भारत को दाल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने पर चर्चा हुई है।
केयर रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2020-21 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों के पहले अग्रिम अनुमान में 14.452 करोड़ टन खाद्न्नय उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया गया है
कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि खरीफ फसलों की बुवाई के काम पर महामारी का कोई असर नहीं पड़ा है और गर्मियों की फसलों की रिकॉर्ड क्षेत्र में फसल लगाई गई है।
खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1,015 लाख हेक्टेयर
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 3 जुलाई तक देशभर में कुल 432.97 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 230.03 लाख हेक्टेयर में खेती हो पायी थी।
कृषि लागत और मूल्य आयोग ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए जो सिफारिश की थी उसे सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली है और धान, कपास, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तुअर, उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा और रागी का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है
अक्टूबर और नवंबर बेमौसम बारिश के लंबे दौर के कारण दलहनों की उपज में उल्लेखनीय कमी आने वाली है।
फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के चालू खरीफ सत्र में बोई जाने वाली फसलों का रकबा 1,054.13 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित बना रहा।
मानसून की प्रगति में शिथिलता के कारण देश में खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार भी धीमी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए फसलों के समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बुधवार को भी सरकार ने खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का ऐलान किया है और 2 महीने पहले ही मोदी सरकार को सत्ता में आए हुए 4 साल हुए हैं, ऐसे में नजर डालते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में कितनी बढ़ोतरी हुई है
केंद्र सरकार ने बजट में किसानों की फसलों के लिए उनकी लागत से डेढ़ गुना ज्यादा समर्थन मूल्य देने की जो घोषणा की थी उसके तहत आज खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य (MSP) का ऐलान हो सकता है। आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में सरकार 14 प्रमुख खरीफ फसलों के लिए 2018-19 मार्केटिंक वर्ष का समर्थन मूल्य घोषित कर सकती है। इंडिया टीवी को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सभी 14 खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में पिछले साल के मुकाबले जोरदार बढ़ोतरी होने की उम्मीद है
SBI ने यह भी कहा है कि समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत से डेढ़ गुना करने पर महंगाई बढ़ने की आशंका ज्यादा नहीं है
खरीफ सीजन में मुख्य तौर पर धान, मक्का, कपास, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, रागी, तुअर, उड़द और मूंग की खेती होती है। इन सभी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ सकता है
देश में महंगाई के फिर से बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि खाद्यान्न उत्पादन चालू खरीफ सत्र में 35 लाख टन घटकर 13.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक खरीफ सत्र में अभी तक धान की बुवाई का रकबा 4.5 प्रतिशत बढ़कर 126 लाख हेक्टेयर हो गया है।
चालू वित्त वर्ष में खरीफ सत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि पिछले साल से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद यह काफी कम है।
सरकार ने इस बार खरीफ सीजन के लिए धान का MSP 80 रुपए प्रति क्विंटल और दलहन के एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने मानसून को लेकर अपना पहला अनुमान जारी कर दिया है। इसके मुताबिक 2014-15 की तरह इस साल भी देश में सामान्य से कम बारिश होगी।
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