पहले चरण के चुनाव में 35,500 प्रवासी कश्मीरी मतदाता जम्मू, उधमपुर और दिल्ली में स्थापित 24 विशेष मतदान केंद्रों पर वोट डालने के पात्र हैं। जम्मू में 34,852 प्रवासी कश्मीरी मतदाता क्षेत्र के 19 विशेष मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए रजिस्टर्ड हैं।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने कश्मीरी पंडितों से भावुक अपील की है। उन्होंने कहा है कि कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर आ जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के रियासी, कठुआ और डोडा इलाकों में आतंकी हमलों से लोग डरे हुए हैं। आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई लगातार जारी है। इस बीच हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित कश्मीर के लिए जाने वाले हैं।
बारामूला लोकसभा क्षेत्र में 20 मई को होने वाले मतदान के लिए कुल 25,821विस्थापित कश्मीरी मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 12,747 पुरुष मतदाता और 13,074 महिला मतदाता हैं।
चुनाव आयोग ने 25 हजार मतदाताओं के लिए खास व्यवस्था की है। इनके लिए कुल 26 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 21 जम्मू में, चार दिल्ली में और एक मतदान केंद्र उधमपुर में है।
घाटी में अब रौनक लौट रही है। यहां 35 साल बाद एक मंदिर के दोबारा खुलने पर क्या मुस्लिम, क्या कश्मीरी पंडित सबके चेहरे पर मुस्कान थी। एक कश्मीरी पंडित महिला का कहना है कि यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे सीएए के मुद्दे पर कहा कि CAA सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाया कि भाजपा धर्मों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहती है।
ख्वाज़ाबाग में 40.22 करोड़ रुपये की लागत से नई विस्थापित कॉलोनी बनाई जा रही है। करीब 160 फ्लैट महीने के अंत तक उद्घाटन के लिए तैयार हो जाएंगे। कुल 320 फ्लैट बनाए जाने हैं। बाकी के फ्लैट का निर्माण दो-तीन महीने के भीतर पूरा हो जाएगा।
20 जनवरी की रात को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए और ये वही दौर था जब पड़े पैमाने पर कश्मीरी पंडितों का पलायन कश्मीर से हुआ, जो अगले कुछ सालों तक चलता रहा। 19 जनवरी 1990 को कश्मीरी पंडितों ने वहां से पलायन करना शुरू कर दिया और भारत के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सहूलियत के हिसाब से चले गए।
लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार यह कहती थी कि आर्टिकल 370 खत्म होगा, तो आतंकवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन इसे खत्म हुए कितने साल हो गए, क्या आतंकवाद खत्म हुआ?
Rehabilitation plan ready for Kashmiri Pandits: जिस आतंक के डर से कश्मीरी पंडितों का अपना घर उजड़ गया, जिस आतंक की दहशत से कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा और जिस आतंक की गुजरी यादों का खौफ आज भी कश्मीरी पंडितों का खून खौला देता है, अब दशकों से कश्मीर में चले आ रहे उस आतंक और आतंकियों का अंत होने वाला है।
Jammu Kashmir: कई कश्मीरी प्रवासी पंडित संगठनों ने घाटी में आतंकवादियों द्वारा टारगेट किलिंग किए जाने पर मंगलवार को चिंता व्यक्त की और जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए एक तथ्यान्वेषण प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने का प्रस्ताव रखा।
Jammu Kashmir: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा एक कश्मीरी पंडित की हत्या के विरोध में जगह-जगह हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के अनेक कार्यकर्ताओं को रविवार को हिरासत में लिया गया।
Jammu Kashmir: घाटी से स्थानांतरित करने की मांग कर रहे सैकड़ों कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी में अपने समुदाय के सदस्यों की टार्गेट किलिंग के विरोध में शनिवार को जम्मू-अखनूर मार्ग अवरूद्ध कर दिया।
Target Killing: केपीएसएस ने बयान में कहा है, "कश्मीर घाटी में कोई भी कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं है। कश्मीरी पंडितों के लिए, केवल एक ही विकल्प बचा है कि वह कश्मीर छोड़ दें या धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा मारे जाएं, जिन्हें स्थानीय आबादी का समर्थन प्राप्त है।"
Jammu Kashmir: 5 अगस्त, 2019 से घाटी से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों की संख्या पर अपने जवाब में मंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, उक्त अवधि के दौरान किसी भी कश्मीरी पंडित ने कथित तौर पर घाटी से पलायन नहीं किया है।
Kashmir News: बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि धारा 370 के हटने के बाद घाटी में अब तक 5,502 कश्मीरी पंडितों जम्मू-कश्मीर के विभिन्न विभागों में नौकरी दी गई है।
Jammu Kashmir News: प्रदर्शनकारी श्वेता भट्ट ने कहा कि हमारा प्रदर्शन घाटी से हमारे स्थानांतरण के लिए चल रहे आंदोलन का हिस्सा है, क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।
Kheer Bhawani Mela: घाटी में तमाम कत्लों गातर के बीच कश्मीरी पंडितो का खीर भवानी मेला के प्रति उत्साह देखने लायक है।
Arvind kejriwal on Target killing: रैली में केजरीवाल ने दावा किया था कि अल्पसंख्यकों की टारगेट किलिंग के कारण कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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