मनीष सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी को केवल 'कश्मीर फाइल्स' की चिंता है न कि कश्मीरी पंडितों की। सिसोदिया ने आगे कहा कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कश्मीरी पंडितों के लिए बहुत कुछ किया है।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘पिछले 25 वर्षों में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से, पिछले आठ वर्ष समेत 13 वर्ष में केंद्र में भाजपा की सरकारें रही हैं। क्या इस अवधि में किसी कश्मीरी पंडित परिवार का पुनर्वास हुआ है?
फारूक ने कहा, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की जांच के लिए वह आयोग का सामना करने को तैयार। OIC में पाक ने कश्मीर का राग अलापा, लेकिन जम्मू के इन्वेस्टर्स समिट में पहुंचे खाड़ी मुल्कों के कारोबारी। देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जानबूझकर बवाल पैदा किया जा रहा है। अगर कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म का सच जानना है, कश्मीरी पंडितों का असली गुनहगार कौन है ये जानना है तो इन्क्वायरी कमीशन बना दिया जाए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर सियासी घमासान रुकने का नाम नही ले रहा है। ताजा मामला राजस्थान से है,यहां प्रशासन के द्वारा कोटा जिले में एक महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष अब सरकार को घेरने में जुट गया है।
आज से 32 साल पहले 19 जनवरी की 1990 की उस काली रात ने हज़ारों कश्मीरी पंडितों का आशियाना छीन लिया। हालात ये थे कि जो जिस हाल में था उसे अपना घर छोड़ना पड़ा। अपनी जान और परिवार की इज्जत बचाने की खातिर जिंदगी भर की कमाई पीछे छोड़कर जैसे तैसे हज़ारों कश्मीरी पंडित परिवारों ने वैली छोड़ दी।
कुशीनगर में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म देखकर लौट रहे युवकों पर वर्ग विशेष के हिस्ट्रीशीटरों के गुट ने हमला कर दिया। चाकू ये हमले में एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। हमले के बाद बदमाशों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया और चेतावनी देते नजर आए।
कश्मीरी संगठन व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से इस मुद्दे को उठा सकते हैं और वर्तमान सक्षम जम्मू-कश्मीर सरकार को एसआईटी या न्यायिक आयोग बनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इन दुर्भाग्यपूर्ण प्रवासी हिंदुओं को न्याय दिलाने की जरूरत है, जिनकी आवाज पिछले 32 सालों से कभी नहीं सुनी गई।
द कश्मीर फाइल्स को लेकर देश में दो वर्ग साफ साफ बनते नजर आ रहे हैं..एक वर्ग ऐसा है जो द कश्मीर फाइल्स की हकीकत के साथ खड़ा है..तो एक दूसरा वर्ग अब खुलकर इस फिल्म के खिलाफ खड़ा होता जा रहा है..कोई इस फिल्म को फ्रिंक्शन कह रहा है..कोई आधा सच बता रहा है..कोई साजिश कह रहा है। क्या है पूरा मामला समझिए कुरुक्षेत्र में
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, कश्मीरी पंडितों को बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी। हमें उनके अधिकारों के लिए खड़े होना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
फारूक अब्दुल्ला 7 नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक मुख्यमंत्री थे। यह वह समय था, जिसमें कश्मीर धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा चेतावनी के बावजूद उदासीनता दुर्गम लग रही थी।
जावेद ने ट्वीट में लिखा है- 'मैं कश्मीरी मुस्लिम हूं। हमारी बहन गिरजा टिक्कू के जीते जी टुकड़े कर दिए गए। ये कश्मीरी मुस्लिम परिवारों ने किया जिनके हाथों में पाकिस्तान ने आजादी के नाम पर बंदूकें थाम दी थी।'
इस वक्त देश की सियासत एक फिल्म के आस-पास घूम रही है फिल्म का नाम है। फिल्म पूरी तरह से कश्मीरी पंडितों के दर्द को दुनिया के सामने ला रही है। अब इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है। आज का कुरुक्षेत्र इसी पर
‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि दर्शकों ने कैसे उन्हें और अनुपम खेर को अपने बीच देखकर तालियां बजाईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद की प्रमुख घटनाओं, हस्तियों पर फिल्म बननी चाहिए। जैसे कश्मीर फाइल्स बनी है, इससे लोगों को सच्चाई पता चलती है और ये समझ आता है कि किस घटना के लिए कौन जिम्मेदार था और उन लोगों के कारनामे लोगों के सामने भी आना चाहिए, अगर किसी ने कुछ गलत किया हो तो जिन्होंने अच्छा किए उसके बारे में भी लोगों को पता रहना चाहिए।
कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी 'The Kashmir Files' को जबरदस्त रेस्पॉन्स मिल रहा है। इसे कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों ने विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को एंटरटेनमेंट टैक्स से छूट दे दी है।
फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की 'द कश्मीर फाइल्स', कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी पर आधारित है। निर्देशक विवेक, पल्लवी जोशी और अनुपम खेर के साथ एक विशेष बातचीत के लिए इंडिया टीवी में शामिल हुए।
भावुक बंसीलाल जी को अगस्त 1990 की वह सुबह याद आ गई जब उन्हें सुबह-सुबह अपने दरवाजे पर उर्दू में लिखा हुआ एक पत्र मिला। इसमें लिखा था- आज शाम तक घर खाली कर भाग जाओ और नहीं भागे तो अपनी औरतों को हमें सौंप दो वरना गोलियों का निशाना बनो।
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