जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के दौरे से आकर कि कश्मीर घाटी के हालात बद से बदतर है। उन्होंने कहा, 'प्रशासन का इतना आतंक मैंने दुनिया में कहीं नहीं देखा है।
कुछ तस्वीरें कश्मीर से अमन और शांति का संदेश लेकर आई हैं जो बता रही हैं कि कश्मीर की जनता ने विकास के के लिए इस बड़े बदलाव को कितनी सहर्षता के साथ स्वीकार किया है।
पाकिस्तान की साज़िश का बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान बड़ी घुसपैठ और आतंकी हमले करवा सकता है। इस समय एलओसी पर 500 आतंकवादी मौजूद हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले हफ्ते एक सूची तैयार की है, जिसके अनुसार घाटी में कुल 273 आतंकी सक्रिय हैं। सूची की एक प्रति आईएएनएस के पास मौजूद है। 273 सक्रिय आतंकियों में से 158 दक्षिण कश्मीर से, 96 उत्तर कश्मीर से और 19 मध्य कश्मीर से हैं।
गोपीनाथन ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा कि जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद कई सप्ताह से राज्य में लाखों लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया है।
अधिकारियों ने हालांकि कहा कि सोमवार को लगातार 29वें दिन आम जनजीवन प्रभावित रहा। दुकानें बंद रहीं और सड़कों से सार्वजनिक वाहन नदारद रहे।
इस तरह के प्लैटफॉर्म्स जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसिंयों और अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।
कश्मीर घाटी में 11 और पुलिस स्टेशनों में प्रतिबंधों में ढील दी गई
अधिकारियों ने बताया कि घाटी में हालात सुधरने के मद्देनजर अधिकतर स्थानों पर लैंडलाइन टेलीफोन सेवा आरंभ कर दी गई है लेकिन यहां वाणिज्यिक केंद्र लाल चौक और प्रेस एन्क्लेव में यह सेवा बाधित है।
घाटी के कई हिस्सों में टेलीफोन सेवाएं हालांकि बहाल कर दी गई हैं लेकिन मोबाइल टेलीफोन सेवाएं और सभी इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से ही निलंबित हैं।
जम्मू-कश्मीर में हालात को तेजी से बदलने के लिए सरकार एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है। सरकार की कोशिशों का असर भी नजर आ रहा है।
कश्मीर में हालात धीरे धीरे पूरी तरह सामान्य होते जा रहे हैं। इसका सबूत आज श्रीनगर का दिल कहे जाने वाले लाल चौक में देखने को मिला। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आज श्रीनगर का मशहूर लाल चौक पूरी तरह खुल गया है।
राहुल गांधी के बयान पर आपत्ति जताते हुए जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं राहुल गांधी को एक विमान भेजता हूं, वे यहां आएं और खुद हालात को देखें।
जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद अब जीवन पटरी पर लौटने लगा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की इस मुद्दे को हल करने में कोई भूमिका अदा करने की मंशा है, इस पर प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम तनाव बढ़ने को लेकर बहुत चिंतित हैं।"
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल कश्मीर के लिए रवाना हो गए हैं। वह व्यक्तिगत तौर पर वहां पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे। उनके वहां पहुंचने से पहले दस हजार सुरक्षा जवानों को और वहां भेजा गया है।
घाटी में आम लोग निहित स्वार्थों के द्वारा फैलाई जा रही अफवाह और दहशत से घबराए हुए हैं। उन्हें सेना और राज्य पुलिस पर भरोसा करना चाहिए।
मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी कहा कि केंद्रीय बलों की 100 कंपनियों (10,000 सैनिकों) को एक हफ्ते पहले यहां तैनात करने का आदेश दिया गया था और वे अपने-अपने गंतव्यों पर पहुंचने की प्रक्रिया में हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस तरह अचानक 250 कंपनियों को देर शाम तैनात किये जाने का कोई कारण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में प्रवेश और बाहर निकलने के सभी रास्तों को केन्द्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों को सौंप दिया गया है। स्थानीय पुलिस की महज प्रतीकात्मक उपस्थिति है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के घाटी के सीक्रेट मिशन पर आने के तत्काल बाद उठाई है। इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी है।
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