दिल्ली में कांवड़ यात्रा को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी जारी की गई है। इस दौरान कई रास्तों पर भीड़भाड़ होने की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही कांवड़ियों के लिए भी रास्तों की जानकारी दी गई है।
सावन के महीने में देवघर के बैद्यनाथ धाम में बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं और कांवड़ियों को लेकर हेमंत सोरेन सरकार ने खास व्यवस्था की है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि कांवड़ यात्रा में पड़ने वाली दुकानों व ढाबों पर मालिक का नाम और मोबाइल नंबर लिखा होना चाहिए। सावन में कांवड़ यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड में भी ऐसा ही आदेश जारी किया गया है।
यूपी की योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। NGO एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी है।
सावन की शुरुआत से पहले उत्तर प्रदेश में ऐसा सियासी उबाल है...जिसकी गूंज लखनऊ से लेकर दिल्ली तक है...योगी सरकार का एक फैसला...आज सियासत का केंद्र बिंदु बन गया है...कांवड़ियों की सहूलियत के लिए नेम प्लेट वाले ऑर्डर पर घमासान है.
बाबा बागेश्वर ने दुकानों के सामने नाम लिखने के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बाबा बागेश्वर धाम में भी सभी दुकानदार अपनी दुकान के सामने अपना नाम लिखेंगे।
नूह में पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान दंगे भड़क गए थे। इस बार ऐसी किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है।
अब बिहार में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कांवड़िया पथों पर दुकानों में नेम प्लेट लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। बिस्फी से बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने यह मांग की है।
यूपी में कांवड़ यात्रा के नेमप्लेट विवाद की गूंज अब संसद में भी सुनाई देगी। योगी सरकार के इस आदेश के खिलाफ विपक्ष कमर कसकर तैयार है। बता दें कि इस मुद्दे को लेकर सियासत तेज है और बजट सत्र में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठेगा।
वाराणसी नगर निगम कार्यकारिणी ने कांवड़ यात्रा को लेकर पूरे सावन माह मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है। यह आदेश कांवड़ यात्रा रूट में पड़नेवाली मीट की दुकानों पर लागू होगा।
22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी.... यानी 29 दिन कांवड़िए अपने आराध्य को पूजेंगे..... उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में तैयारियां अपने चरम पर है..... यूपी पुलिस और प्रशासन ने कांवड़ियों के लिए रूट तय कर दिया है...
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर खाने की दुकानों में नाम लिखने के आदेश पर लगातार बवाल हो रहा है। सभी पार्टियों की मीटिंग के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है। यह आर्टिकल 17 का उल्लंघन है।
यूपी की योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। NGO एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुताबिक, योगी सरकार ने ऐसा इसलिए किया है, ताकि सामाजिक सौहार्द न बिगड़े और आस्था में डूबे लोगों को अपनी इच्छानुसार पवित्र सामग्री मिल सके।
सावन महीने में शिव भक्तों को देखते हुए ये आदेश जारी किया गय है। उज्जैन के डीएम नीरज कुमार सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने इसका पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गाजियाबाद में सभी भारी वाहन चौधरी चरण सिंह मार्ग का प्रयोग कर यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9 का प्रयोग करते हुए अपने गंतव्य को जायेंगे।
यूपी में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट का विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। अब आचार्य प्रमोद कृष्णम भी इस विवाद में कूद पड़े हैं और उन्होंने विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जानिए क्या कहा है कृष्णम ने?
उत्तर प्रदेश में इस वक्त नाम और पहचान पर जबरदस्त सियासी संग्राम छिड़ा है...भोले के भक्तों को लेकर जो फैसला योगी सरकार ने किया...उस पर विपक्ष सवाल उठा रहा है...निशाना साध रहा है...राजनीति कर रहा है...विपक्ष को इसमें हिंदू मुस्लिम वाला एंगल नजर आ रहा है....कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी...
मौलाना मदनी ने कहा कि यह पहली बार है कि इस प्रकार का आदेश जारी करके एक विशेष समुदाय को अलग-थलग करने के साथ साथ नागरिकों के बीच भेदभाव और नफ़रत फैलाने का जानबूझकर प्रयास किया गया है।
कांवड़ यात्रा नेमप्लेट मामले पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का बयान सामने आया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा जारी विवादास्पद निर्देश में ‘कुछ भी गलत नहीं’ है।
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