आज पवित्र सावन महीने का दूसरा सोमवार है...और इस मौके पर देश भर के शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा है...उज्जैन के महाकाल मंदिर से लेकर देवघर के बाबाधाम तक...और काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर से लेकर दिल्ली के गौरी-शंकर मंदिर तक...भक्तों का रेला देखा जा रहा है..
यूपी की योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। NGO एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी है।
सावन की शुरुआत से पहले उत्तर प्रदेश में ऐसा सियासी उबाल है...जिसकी गूंज लखनऊ से लेकर दिल्ली तक है...योगी सरकार का एक फैसला...आज सियासत का केंद्र बिंदु बन गया है...कांवड़ियों की सहूलियत के लिए नेम प्लेट वाले ऑर्डर पर घमासान है.
22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी.... यानी 29 दिन कांवड़िए अपने आराध्य को पूजेंगे..... उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में तैयारियां अपने चरम पर है..... यूपी पुलिस और प्रशासन ने कांवड़ियों के लिए रूट तय कर दिया है...
उत्तर प्रदेश में इस वक्त नाम और पहचान पर जबरदस्त सियासी संग्राम छिड़ा है...भोले के भक्तों को लेकर जो फैसला योगी सरकार ने किया...उस पर विपक्ष सवाल उठा रहा है...निशाना साध रहा है...राजनीति कर रहा है...विपक्ष को इसमें हिंदू मुस्लिम वाला एंगल नजर आ रहा है....कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी...
यूपी बदल रहा है... और बदल रहा है नाम... अब यूपी में अकबर नहीं सौमित्र चलेगा... चाहे मित्र नाराज़ हों या विपक्ष बवाल करे... योगी अपनी बिछाई बिसात पर अपनी चालें चल रहे हैं... सौमित्र वन लहलहाएगा... तो लक्ष्मण जी की भी याद दिलाएगा... तो कांवड़ रूट पर नाम मोटे अक्षरों में लिख दिए गए हैं...
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज ये दिखा दिया कि वो कदम पीछे खींचने पर नहीं बल्कि मुकाबला करने में यकीन करते हैं..मुज़फ्फरनगर में कांवड़ रूट पर दुकानों में नेमप्लेट लगाने को लेकर सियासी बवाल मचा है..राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विपक्ष ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
यूपी में नाम तो बताना पड़ेगा. अगर नाम सलमान है और ढाबे का नाम भगवान ढाबा है तो ये नहीं चलेगा. अगर नाम वसीम है और फूड प्वाइंट का नाम गणपति फूड ज्वाइंट है तो ये भी नहीं चलेगा.
यूपी में दुकानों पर पहचान बताना क्यों जरूरी ? क्या पहचान बताने के नाम पर भेदभाव किया जा रहा ? क्या यूपी में मजहब बताने को लेकर राजनीति हो रही है ?
UP Kanwar Yatra 2022: बरेली में कांवड़ियों की धार्मिक यात्रा को अपवित्र करने की साजिश हुई. बाराबंकी में कांवड़ियों का रास्ता रोकने एक पूरी टोली आ गई. सहारनपुर में नफरती पोस्ट डाले गए और संभल में तो ऐसा महापाप हुआ जिसे बताना भी ठीक नहीं लगता.
Owaisi On kanwar Yatra: योगी के अफसरों ने कांवड़ियों पर जो फूल बरसाए वो कुछ लोगों को कांटे की तरह चुभ रहे हैं. कल तक कांग्रेस इस पुष्पवर्षा का खर्चा पूछ रही थी आज ओवैसी ने दूसरा मुद्दा उठा दिया.
Bijnor Sherkot Mazar Vandalised: Uttar Pradesh में Bijnor के Sherkot इलाके में धार्मिक सौहाद्र बिगाड़ने की कोशिश. यूपी को दंगे की आग में सुलगाने की साजिश रची जा रही थी. हिंदू के नाम पर सांप्रदायिक माहौल खराब करने की प्लानिंग हो रही थी.
कांवड़ यात्रा को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करके कहा है कि राज्य सरकारें कांवड़ यात्रा को अनुमति ना दें।
उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के ‘‘चिंतित करने वाले’’ फैसले का बुधवार को स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले पर ‘‘अलग-अलग राजनीतिक मत होने के मद्देनजर’’ केंद्र, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की सरकारों से जवाब मांगा।
उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को COVID-19 की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए वार्षिक 'कांवर यात्रा' को रद्द करने का फैसला किया। हालांकि, 25 जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा को उत्तर प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है।
यूपी में कांवड़ यात्रा' की इजाज़त देने पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान.यूपी सरकार को जारी किया नोटिस..16 जुलाई को होगी सुनवाई.
कोविड -19 की संभावित तीसरी लहर की आशंका के बीच, उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया | वहीं उत्तर प्रदेश वार्षिक अनुष्ठान के साथ आगे बढ़ रहा है | जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है |
कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर बड़ा फैसला किया है.कोरोना महामारी के चलते इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई है
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री 45 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी के सामने ऐसे समय में कई चुनौतियां हैं, जब विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है। देखिए उन्होंने इंडिया टीवी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में क्या कहा।
Kanwar Yatra attacked in Tonk, section 144 imposed after tension in the city
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