कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर बोलते हुए आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू ने कहा है कि यह यात्रा लोगों की श्रद्धा की यात्रा होती है और इसे विवाद का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।
कांवर यात्रा में नेमप्लेट के मुद्दे पर एक पाकिस्तानी पत्रकार ने अमेरिका में सवाल किया है जिसके बाद अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की है।
यूपी समेत देश में कावंड यात्रा की शुरुआत तो 22 जुलाई से हो चुकी है। इसी को देखते हुए मुजफ्फरनगर प्रशासन ने 26 जुलाई से 2 अगस्त तक सभी बोर्डों के स्कूल कॉलेज बंद कर दिए हैं।
देश के तमाम हिस्सों में कांवड़ियों ने हंगामा किया है। कई जगहों पर कांवड़ियों ने मारपीट और गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की है। कांवड़ियों का आरोप है कि उनकी कांवड़ को खंडित किया गया।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सड़क दुर्घटना में 1 कांवड़ यात्री की मृत्यु हो गई और 1 घायल हो गया। हादसे के वक्त कांवड़िये सड़क किनारे लेटकर आराम कर रहे थे।
सावन के महीने में हो रही कांवड़ यात्रा में भाग ले रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बड़ी अपील की है।
नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि होटल चलाने वालों को भोजन के प्रकार यानी वो शाकाहारी है या मांसाहारी सिर्फ इसकी जानकारी देनी होगी।
कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाले होटल, ढाबा और खाने के ठेलों पर मालिक का नाम और मोबाइल नंबर लिखे जाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके बाद योगी सरकार के मंत्री और बीजेपी नेताओं की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट वाले आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस भट्टी ने केरल के एक शहर के हिंदू और मुस्लिम शाकाहारी होटल की कहानी सुनाई जिसमें वो खुद मुसलमान के होटल में खाना खाने जाते थे। उन्होंने इसके पीछ के वजह भी बताई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा "हम सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाना उचित समझते हैं। रेस्टोरेंट, होटलों या खाद्य विक्रेताओं को अपने यहां खाने की वैरायटी की लिस्ट लगाने की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें मालिकों या काम करने वाले कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ रूट पर पड़ने वाले ढाबे, रेस्टोरेंट और खाने के होटल के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि खाद्य विक्रेताओं के मालिकों या कर्मचारियों को नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
दिल्ली में कांवड़ यात्रा को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी जारी की गई है। इस दौरान कई रास्तों पर भीड़भाड़ होने की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही कांवड़ियों के लिए भी रास्तों की जानकारी दी गई है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि कांवड़ यात्रा में पड़ने वाली दुकानों व ढाबों पर मालिक का नाम और मोबाइल नंबर लिखा होना चाहिए। सावन में कांवड़ यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड में भी ऐसा ही आदेश जारी किया गया है।
बाबा बागेश्वर ने दुकानों के सामने नाम लिखने के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बाबा बागेश्वर धाम में भी सभी दुकानदार अपनी दुकान के सामने अपना नाम लिखेंगे।
नूह में पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान दंगे भड़क गए थे। इस बार ऐसी किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है।
अब बिहार में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कांवड़िया पथों पर दुकानों में नेम प्लेट लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। बिस्फी से बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने यह मांग की है।
यूपी में कांवड़ यात्रा के नेमप्लेट विवाद की गूंज अब संसद में भी सुनाई देगी। योगी सरकार के इस आदेश के खिलाफ विपक्ष कमर कसकर तैयार है। बता दें कि इस मुद्दे को लेकर सियासत तेज है और बजट सत्र में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठेगा।
वाराणसी नगर निगम कार्यकारिणी ने कांवड़ यात्रा को लेकर पूरे सावन माह मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है। यह आदेश कांवड़ यात्रा रूट में पड़नेवाली मीट की दुकानों पर लागू होगा।
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर खाने की दुकानों में नाम लिखने के आदेश पर लगातार बवाल हो रहा है। सभी पार्टियों की मीटिंग के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है। यह आर्टिकल 17 का उल्लंघन है।
यूपी की योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। NGO एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी है।
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