मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने तंज कसा है और कहा है कि वे तो अपनी जेब में हमेशा नारियल लेकर घूमते रहते हैं। जानिए कमलनाथ ने ऐसा क्यों कहा-
मध्य प्रदेश में चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही सत्ता में वापसी के लिए मेहनत कर रहे हैं। कानूनगोलू को केंद्र राज्य में शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेरने के लिए कर्नाटक जैसा लक्षित अभियान तैयार करने के लिए कहा गया है।
जाट महाकुंभ में प्रदेश के नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। राज्य की कई सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसीलिए नेता इस सम्मलेन में तमाम वादे और घोषणाएं करके जाट मतदाताओं को साधने में लगे हुए हैं।
'द केरला स्टोरी' के टिकट भेजकर एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा कि 'जाकिर नायक को शांति दूत कहने वालों को यह फिल्म जरूर देखना चाहिए'।
कर्नाटक के कांग्रेस के मेनिफेस्टो का सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहा है। कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा को लेकर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखा है, तो वहीं प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर जमकर कर प्रहार किया।
एमपी कांग्रेस ने एक वीडियो जारी कर जहां कमलनाथ को धार्मिक प्रवृत्ति का बताते हुए 15 महीनों की सरकार में उनके धार्मिक विकास यात्रा को बताया है।
मृतक के बेटे ने रोते हुए बताया कि पुलिसवालों ने पूरे परिवार को जेल में डालने की धमकी दी थी इसलिए मम्मी-पापा और बहन ने ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। कुछ राहगीरों ने पुलिस को सूचित किया कि टीकमगढ़ जिले के खड़गपुर के पास रेलवे ट्रैक के किनारे शव पड़े मिले।
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री इन दिनों उन तमाम हारी हुई सीटों का दौरा कर रहे हैं जिनके चलते कांग्रेस बीच के 15 महीने छोड़ दें तो 18 सालों से सत्ता से दूर है।
सचिन पायलट के खिलाफ अभी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। पार्टी आलाकमान नहीं चाहता कि कोई ऐसा फैसला लिया जाए, जिससे उन्हें आगामी विधानसभा कौर लोकसभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़े।
मध्य प्रदेश में 7 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में समय से पहले ही बीजेपी व कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं में बहसबाजी शुरू हो गई है। दिग्गज नेताओं ने सीएम फेस चुन लिया है। जानें किन्हें चुना सीएम उम्मीदवार.....
कमलनाथ ने ट्वीट में लिखा ‘महिलाओं का अपमान करना, उनका उत्पीड़न करना और उनके बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करना भाजपा की पहचान बनता जा रहा है।‘ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट के जरिए शिवराज सरकार द्वारा बीते समय में महिलाओं के मामलों में उठाए गए कदम के बारे में भी लिखा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा में रोजा इफ्तार के कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषण चलते एक बार फिर एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान की यह नाराजगी सामने आई है। शिवराज ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बुधवार को छिंदवाड़ा के मिलादुन्नबी मैदान में रोजा इफ्तार कार्यक्रम में अपने पुत्र और छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ के साथ शामिल हुए। इस दौरान रोजेदारों के साथ उन्होंने रोजा इफ्तारी की।
इस दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में शिवराज सिंह चौहान ने कहा-'बैगा भरिया सहरिया बहनों को जो मैं1000 महीना देता था, कमलनाथ जी तो वही बंद कर बैठे थे। वही खा गए थे।'
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के जतारा से बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अपने खास समर्थकों को अयोध्या की सरयू नदी में खड़े होकर वह शपथ दिलाते नजर आ रहे हैं की चुनाव में वह छल कपट नहीं करेंगे ना ही धोखा देंगे।
भोपाल मे कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा, "यह जुलूस सालों से निकल रहे हैं यह सब नहीं हुआ, अब क्योंकि 2024 का चुनाव है इसलिए यह सब शुरुआत बीजेपी करवा रही है ताकि समाज में तनाव पैदा हो।"
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर कलह शुरू हो गई है। प्रदेश प्रभारी ने कमलनाथ को सीएम फेस बताया है जिसपर बीजेपी ने तंज कसा है- कांग्रेस में एक भावी, एक अवश्यंभावी, एक अप्रभावी मुख्यमंत्री के दावेदार।
यह दरअसल बीजेपी के मिशन 160 लोकसभा सीटों का हिस्सा है। इसमें उन सीटों पर ध्यान दिया जा रहा है जहां पर कांग्रेस एक बार या अधिक बार जीती है।
मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बार चुनावों में कांग्रेस जहां सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगाकर सत्ता में आने के सपने बुन रही है। इसी अभियान के तहत उसने बीजेपी से नाराज चल रहे लोगों को साथ जोड़ना शुरू कर दिया है।
मध्य प्रदेश में 20 मार्च 2020 को कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी।
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