कांग्रेस में कभी राहुल गांधी के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में मध्य प्रदेश की राजनीति के ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी मुख्यालय में सदस्यता ली।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद कांग्रेस में कलह एक बार फिर सामने आ गई है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने सिंधिया की विदाई के बाद खुलकर बयान दिया है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हेंडल पर लिखी गई कविता में हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को टैग तो नहीं किया गया है और न ही उनका नाम लिखा है लेकिन कविता जिस अंदाज में लिखी गई है उससे साफ जाहिर हो रहा है कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए ही है
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर सियासी संकट के बीच कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर ले जा रही है। राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट बना हुआ है, क्योंकि 22 विधायक अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं कांग्रेस के अन्य विधायक भी भाजपा के संपर्क में है।
इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया दोपहर 12.30 बजे BJP में शामिल होंगे।
आखिरकार वह कौन है, जिस पर पार्टी हाईकमान इतना भरोसा करती है, जिसके भरोसे मध्यप्रदेश में भाजपा ने 'ऑपरेशन लोटस' चलाया? इस तमाम सवालों से पर्दा अब हट गया है।
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया आज बीजेपी में औपचारिक तौर पर शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि दोपहर 12 बजे के बाद वो बीजेपी में शामिल होंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में उठापटक तेज हो गई है, या यूं कहें रिजॉर्ट पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियां अपने विधायकों को एकजुट करने के अभियान में जुट गई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से नाराजगी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया। मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से मंगलवार को होली के गुलाल में सियासत का रंग ऐसा उड़ा कि बड़े-बड़े सियासतदान खड़े-खड़े देखते रहे और जब तक हालात समझ में आए तब तक सत्ता के समीकरण इधर के उधर हो चुके थे।
मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ने के बाद अब जल्द ही औपचारिक तौर पर भाजपा का दामन थामेंगे। सिंधिया समर्थक विधायकों के समर्थन से भाजपा फिर प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करने की मुक्कमल तैयारी कर चुकी है।
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे देने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का निर्णय लिए जाने के बाद भाजपा अपने विधायकों को मंगलवार देर रात तक विमान से मध्य प्रदेश से बाहर भेज रही थी।
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर खड़े हुए संकट के बीच कांग्रेस के नेता और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने पार्टी के पास 94 विधायक होने का दावा करते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर कांग्रेस लड़ने के लिए तैयार है।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर गहराए संकट के बीच कांग्रेस विधायकों की भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की। बताया जा रहा है कि बैठक में 88 से 90 विधायक मौजूद थे हालांकि कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि 94 विधायक पार्टी के साथ हैं।
साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 114 सीटों पर कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को 109 सीटें मिली थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी को 2 बसपा, एक सपा और 4 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दे दिया था जिससे राज्य में 120 विधायकों के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी।
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था, और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले। डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था। अब एक बार फिर वही पटकथा लिखी गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भाजपा ज्वाइन नहीं करेंगे। बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कल शिवराज सिंह चौहान के सामने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
मंगलवार को मध्य प्रदेश के राजनीतिक संग्राम की हाइलाइट्स जानने के लिए खबर को नीचे स्क्रोल करें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद सियासी सरगर्मियों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में CEC की बैठक हुई।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कद्दवार नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2002 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे थे, उनके पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर उनके बेटे आर्यमन सिंधिया ने गर्व जताया।
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