मध्यप्रदेश में जल्द ही राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। कांग्रेस की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सामने आ रहा है, लेकिन वह उच्च सदन में जाने के लिए तैयार नहीं हैं
मध्यप्रदेश कांग्रेस में चल रही अनबन के बीच कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया की सोमवार को गुना में कथित तौर पर प्रायोजित बैठक की बजाय सड़क पर मुलाकत हुई।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक-दूसरे का धुर विरोधी माना जाता है। सियासी राह में कांटे बिछाने में कोई मौका नहीं गंवाता, मगर सोमवार को गुना में दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है।
कमलनाथ एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच एक दूसरे के खिलाफ कथित रूप से चल रही बयानबाजी पर कमलनाथ ने कहा कि ‘मैं ग्वालियर के पूर्व राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य से नाराज नहीं हूं।’
इंदौर-दो के विधायक रमेश मेंदोला ने ज्योतिराज सिंधिया और कमलनाथ के बीच चल रहे शीत युद्ध पर तंज कसते हुए सिंधिया को हनुमान जी की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा स्थापित समारोह में आमंत्रित किया है।
पिछले हफ्ते सिंधिया ने मध्यप्रदेश के कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर कहा था कि अगर कांग्रेस सरकार अपने वादो पूरे नहीं करेगी तो वह सड़क पर उतरेंगे। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि यदि सिंधिया सड़क पर उतरना चाहते हैं तो उतर जाएं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच दोनों जल्द ही मुलाकात कर सकते हैं।
दमोह में पत्रकारों से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी सिंधिया पर हो रहे सवालों से नाराज नजर आईं। पत्रकारों ने जब सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने पर सवाल किए तो जवाब में और उनकी आवाज में तल्खी और नाराजगी साफ दिखाई दी।
एक तरफ सिंधिया का बयान और उस पर कमलनाथ की प्रतिक्रिया के बाद बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने सिंधिया के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, "दोनों वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें चाहिए कि वे आपस में बैठकर बात करें।"
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस में सिर फुटौव्वल चल रही है, इनके निपटाने में जनता निपट रही है, प्रदेश निपट रहा है मेरे प्रदेश पर तो रहम करो।
सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों से कहा कि सरकार को अभी 1 साल हुआ है। शिक्षकों को सब्र रखना पड़ेगा। आपकी बारी आएगी और अगर आपकी बारी न आई तो आपकी ढाल भी मैं बनूंगा और तलवार भी मैं बनूंगा।
अपने बयानों और पत्रों के माध्यम से अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली के चुनाव परिणामों के जरिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है।
राजनीतिक अखाड़े में भले ही भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे के खिलाफ नजर आते हों लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर सियासत से परे सादगी की एक अलग तस्वीर नजर आई।
कांग्रेस के महासचिव और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में बस चलाते दिखाई दिए। उन्हें एक आम ड्राइवर की तरह बस चलाते देख लोग अचरज में पड़ गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया इस समय भोपाल दौरे पर हैं, जिसके चलते मध्य प्रदेश की सियासत का पारा बढ़ा हुआ है। लगातार सिंधिया को पीसीसी चीफ और राज्यसभा भेजे जाने की चर्चाओं का बाजार भी गर्म है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नए अध्यक्ष और निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर जारी माथापच्ची के बीच सियासी तूफान खड़ा होने के आसार बनने लगे हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव हराकर देशभर में सुर्खियों में आए भाजपा सांसद कृष्णपाल सिंह यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि यह प्रस्तावित कानून देश की संस्कृति की "वसुधैव कुटुम्बकम्" की हजारों साल पुरानी अवधारणा और डॉ. भीमराव आम्बेडकर रचित संविधान के खिलाफ है।
कांग्रेस को जहां नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान करना है, वहीं सरकार बनने के बाद से खाली पड़े निगम, मंडल अध्यक्ष पदों पर नियुक्ति होनी है। इसको लेकर पार्टी के भीतर लगातार मंथन जारी है।
सिंधिया इस साल लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट गुना से हार गये थे। उसके बाद से राजनीतिक गलियारों में अफवाहें चल रही थीं कि वह कांग्रेस से नाराज हैं।
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