बद्रीनाथ हाइवे पर ड्रिलिंग के दौरान एक बोल्डर मशीन पर गिर गया। हालांकि, मजदूरों ने सही समय पर भागकर अपनी जान बचा ली, लेकिन रास्ता बंद होने से अभी भी कई श्रद्धालु हाइवे पर फंसे हुए हैं।
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के जोशीमठ का नाम बदल दिया है। ये क्षेत्र बीते साल प्राकृतिक आपदा के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।
इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड के इस ऐतिहासिक शहर में दरारे आ गईं थीं। कई घरों में दरारें इतनी बड़ी थीं कि मानो यहां कोई बड़ी दुर्घटना हुई हो। इसके बाद सरकार फ़ौरन ऐसे घरों को खाली करा लिया था।
8 वैज्ञानिक संस्थानों की यह रिपोर्ट सैकड़ों वैज्ञानिकों ने कई महीनों की मेहनत के बाद करीब 718 पन्नों में तैयार की है। वहीं, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने कहा है कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में आखिरकार सरकार ने इतना समय क्यों लगाया।
Himachal Pradesh Heavy Rain: हिमाचल प्रदेश में कुदरत कहर बनकर टूट रही है. पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश और लैंडस्लाइड ने ज़बरदस्त तबाही मचा दी है. पिछले 72 घंटे के अंदर हिमाचल में 60 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
जोशीमठ में पहले दरारें और गड्ढे बनने की कई घटनाएं हुई हैं और मानसून के मौसम के आने के साथ ही, आगे ऐसी और घटनाएं होने की आशंका है।
जोशीमठ में हेलंग मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य शूरू हो गया है। लिहाजा पूरा जोशीमठ आज इसके विरोध में उतरा है। जनवरी 2023 में जब जोशीमठ में जमीन धसकने लगी थी, तब इस बाईपास का निर्माण रोक दिया गया था।
जोशीमठ में तिमुंडिया मेले के साथ बद्रीनाथ यात्रा का आगाज हो गया है। जोशीमठ के नृसिंह मंदिर प्रांगण में तिमुंडिया मेले का आयोजन हुआ। पौराणिक काल से चली आ रही परंपरा आज भी उसी रूप में मनाई जा रही है।
जोशीमठ के लोगों के लिए जो मकान तैयार हो रहे हैं, उनकी तस्वीरें सिर्फ इंडिया टीवी के पास एक्सक्लुसिव हैं। जोशीमठ में जमीन धंसने के बाद उतराखण्ड सरकार ने प्री-फैब्रिकेटेड मकान बनाने के लिए ऑर्डर दिए थे।
दोनों धामों के लिए श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन मंगलवार को शुरू हुआ और पहले दो दिनों में अब तक 61,250 लोग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
जोशीमठ में भूधंसाव के बाद पहला गड्ढा रविग्राम वार्ड में हुआ था। उसके बाद बदरीनाथ हाईवे पर मारवाड़ी तिराहे के पास गड्ढा हो गया, अब हाईवे से सटे गांधीनगर में भी गड्ढे नजर आ रहे हैं, जिनकी चौड़ाई आधा फीट और गहराई लगभग दो फीट है।
उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू करने की तारीखों की घोषणा शनिवार को की थी लेकिन जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग पर कई बड़ी दरारें फिर से दिखाई दी हैं। ऐसे में ये यात्रा कितनी सुरक्षित होगी, ये चिंता का विषय है।
पुलिस प्रशासन की ओर से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पुराने ट्रैफिक प्लान को ही यथावत रखने का फैसला लिया है।
कर्णप्रयाग के तहसीलदार सुरेंद्र देव ने कहा, "इससे 38 परिवार प्रभावित हुए हैं मकान खाली करने के बाद सभी प्रभावित परिवारों को नगर पालिका के रैन बसेरों और ITI कॉलेज की कक्षाओं में स्थानांतरित कर दिया गया है।
Doda Cracks: Jammu & Kashmir के डोडा से एक डराने वाली खबर आई है। डोडा में नई बस्ती नाम के गांव की हस्ती मिटने वाली है। जिस जगह ये गांव बसा है, वहां की ज़मीन खिसक रही है। ज़मीन धंसने से गांव के कई घरों में इतनी बड़ी दरारें आ गई हैं कि उन्हें खाली करना पड़ रहा है
डोडा के एसएसपी अब्दुल कयूम ने कहा, अब तक 19 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। चट्टानों को ढीले होने के कारण भूस्खलन हुआ। कयूम ने कहा कि भूवैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है।
अब एनडीएमए ने 4 फरवरी को इन संस्थानों की बैठक बुलाई है। इसमें जोशीमठ को लेकर संस्थानों की प्रारंभिक रिपोर्ट के साथ ही वर्तमान स्थिति के संबंध में चर्चा होगी।
केंद्र सरकार ने कहा कि जोशीमठ में भू-धसाव से पहले तपोवन में हिमस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हुई थीं। इसकी वजह से बिजली परियोजना का काम रोकना पड़ा था। मोदी सरकार ने कहा कि जोशीमठ और उसके आस पास कोई जल विद्युत परियोजना नहीं है।
जोशीमठ में अभी दरारों वाले भवनों की संख्या 863 है। इनमें सें 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। जेपी परिसर जोशीमठ में पानी का रिसाव 540 एलपीएम से घटकर वर्तमान में 170 एलपीएम हो गया है।
उत्तराखंड में केवल जोशीमठ ही नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसी जगह है जहां पर बड़ी-बड़ी दरारें आ रखी हैं। लोगों की जान और उनके घर, मकान पूरे के पूरे गांव खतरे की जद में हैं। पिथौरागढ़ का भी एक ऐसा गांव है जो दरारों का दंश झेल रहा है।
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