देश के सबसे प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों के नतीजेे आ गए हैं। लेफ्ट ने सभी चारों सीटें जीत ली हैंं। एन साई बालाजी जेएनयू छात्र संघ के नए अध्यक्ष बन गए हैं।
चुनाव अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पदों के लिए हुए। मौजूदा समय में सभी चारों पदों पर क्रमश: वाम दल की गीता कुमारी, सिमोन जोया खान, दुग्गीराला श्रीकृष्णा और शुभांशु सिंह काबिज हैं।
डॉ. आरिफ उर रहमान अल्वी का जन्म कराची में वर्ष 1949 में हुआ था जहां उनके पिता विभाजन के बाद बसे थे।
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मनमोहन सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी एनएमएमएल की प्रकृति एवं स्वरूप में बदलाव करने की कोई कोशिश नहीं की गई।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के 29 वर्षीय शिक्षकेतर कर्मी की यहां सिगरेट की दुकान का पता पूछने को लेकर हुई झड़प में कथित तौर पर चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई जबकि उसका चचेरा भाई घायल हो गया।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी उनकी तारीफ किया करते थे, लेकिन एक बार अटल ने ऐसी बात कह दी थी, जिससे नेहरू का चेहरा तमतमा गया था।
क्या नेहरू की जगह भारत के पहले प्रधानमंत्री होते जिन्ना?
जवाहर लाल नेहरू के आगे पंडित शब्द लगाने पर आपत्ति जताई है। आहूजा के मुताबिक, जवाहर लाल नेहरू पंडित नहीं थे।
दलाई लामा ने कहा था कि भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने के लिए नेहरू का रवैया ‘‘आत्मकेंद्रित’’ था, जबकि महात्मा गांधी उस वक्त मुहम्मद अली जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे।
दलाई लामा ने दावा किया कि यदि महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया गया होता तो भारत का बंटवारा नहीं होता।
जेटली ने जहां एक तरफ 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 'अखंड भारत' का समर्थन करने से रोकने के लिए कांग्रेस को निशाने पर लिया, वहीं संविधान में संशोधन करने के लिए भी पार्टी की आलोचना की...
कश्मीर: नेहरू की ऐतिहासिक भूल!
दशकों से यह गहरा रहस्य बना रहा कि इस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायकों में से शामिल बोस की मौत कैसे और कब हुई...
प्रणब मुखर्जी के संघ के समारोह में शामिल होने पर सवाल उठाने वालों को आरएसएस के सर सह कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने भी जवाब दिया है। मनमोहन वैद्य ने एक अंग्रेजी अखबार में 'प्रणब दा, नागपुर में आपका स्वागत है’ नाम से एक लेख लिखा हैं।
जेएनयू अकादमिक परिषद ने ‘ सेंटर फॉर नेशनल सेक्युरिटी स्टडीज ’ की स्थापना करने का एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत ‘ इस्लामिक स्टेट ’ पर एक पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
JNU में लव जेहाद पर बनी फिल्म 'इन द नेम ऑफ़ गॉड' दिखाने का विरोध, छात्रों के दो गुटों में झड़प
एबीवीपी के छात्रों ने लेफ्ट विंग पर मारपीट और माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया जबकि लेफ्ट विंग के छात्रों का आरोप है कि एबीवीपी के लोग मारपीट और गाली-गलौज के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे। बता दें कि एबीवीपी और विवेकानंद विचारधारा मंच की तरफ से प्रोग्राम को ऑर्गेनाइज किया गया था। फिलहाल दोनों की पक्षों की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
शुक्रवार की शाम जेएनयू कैंपस के अंदर साबरमती ढाबे के पास एक मूवी की स्क्रीनिंग के दौरान दो विचारधारा के छात्रों के बीच मारपीट हो गई जिसमें कई लोगो को चोटे आई है। इन द नेम लव के नाम की ये डॉक्यूमेंट्री लव जिहाद के संबंध में केरल के हालात पर आधारित थी.
हकसर हवेली जहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कमला नेहरू से शादी हुई थी, वह बिल्डरों द्वारा नष्ट किये जाने के कगार पर है।
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