गौरतलब है कि बुधवार की शाम महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, नेकां के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से 19 जून को समर्थन वापस ले लिया था, और इसके अगले ही दिन सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया था।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने हालांकि उम्मीद जताई कि राज्य में स्थिरता की बहाली के लिए प्रदेश में कुछ समय तक राज्यपाल शासन रहेगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी कैंप पर हुए हमले के विरोध में बीजेपी विधायक पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे तभी...
Uproar by Opposition in Jammu & Kashmir Assembly over the issue of ceasefire violations along LoC
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