अंतरिक्ष के क्षेत्र में जिस तरह से इसरो के कदम बढ़ रहे हैं उससे दुनियाभर में भारत की साथ बढ़ी है। चंद्रयान 3 मिशन से जुड़ी टीम को एक और उपलब्धि मिली है। टीम को जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिला है।
भारत के स्पेस साइंटिस्टों का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। भारत ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया को बता दिया है कि वो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसरो की चंद्रयान 3 टीम को John L Jack Swigert Jr award मिला है।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) की सफलताओं ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। दुनिया के कई थिंक टैंक अब खुले तौर पर यह मानने को विवश हो गए हैं कि भारत दुनिया के तमाम देशों के लिए अंतरिक्ष का अगुवा बन चुका है। भारत की सफलताओं ने उसे अंतरिक्ष के शीर्ष में ला खड़ा किया है।
आज कर्नाटक के चित्रदुर्ग में इसरो ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसरो ने री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल 'पुष्पक' का सफल परीक्षण किया। इस दौरान पुष्पक ने ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंडिग किया।
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि फ़िलहाल दवाएं चल रही हैं। सर्जरी के कुछ दिनों बाद सब ठीक हो गया। उन्होंने कहा हालांकि इस जंग को अभी और लड़ना है लेकिन मुझे भरोसा है कि मैं यह जंग जीत लूंगा।
इसरो के सोलर मिशन के लिए अब गगनयान की लॉन्चिंग का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के नामों का खुलासा कर दिया है
51.7 मीटर लंबे GSLV-F14 रॉकेट से लॉन्च किया गया INSAT-3DS वर्तमान में कार्यरत INSAT-3D और INSAT-3DR उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को बढ़ाएगा।
जीएसएलवी रॉकेट की आखिरी उड़ान 29 मई, 2023 को थी और रॉकेट का कोडनेम 'जीएसएलवी-एफ12' रखा गया था। तार्किक रूप से, अगले जीएसएलवी रॉकेट का क्रमांकन 'जीएसएलवी-एफ13' होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ISRO के अनुसार, सैटेलाइट को 10 जनवरी 2007 को लॉन्च किया गया था ताकि देश की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें ली जा सके। लॉन्चिंग के समय इसका वजन 680 किलोग्राम था और यह 635 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में कार्य कर रही थी।
भारत के सबसे उन्नत मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS के जरिए वैज्ञानिक मौसम संबंधी ज्यादा सटीक भविष्यवाणियां कर सकेंगे और यह तमाम दूसरे कामों के लिए भी धरती की निगरानी कर सकेगा।
सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो इसरो में भर्ती निकली है, जो उम्मीदवार इन पदों पर आवेदन करने की सोच रहे हैं तो वे आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
सरकारी नौकरी की तैयारी करनी है तो ये मौका हाथ से जानें न दें। ISRO ने कई पदों पर भर्ती निकाली है, जो उम्मीदवार इन पदों पर आवेदन करना चाहते हैं वे आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऐसा कर सकते हैं।
इसरो में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों के लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में कई पदों पर भर्ती निकली है। इच्छुक उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
अयोध्या का रामलला मंदिर अंतरिक्ष से बड़ा ही भव्य दिखाई देता है। अमेरिकी एजेंसी ने राम मंदिर की मनमोहक सैटेलाइट इमेज जारी की है।
ISRO Recruitment: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक स्पेस डिपार्टमेंट, राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर में वैज्ञानिक/इंजीनियर 'एससी' समेत कई और पदों पर भर्ती निकली है। इन पदों के लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वैकेंसी, सैलरी आदि डिटेल्स के लिए उम्मीदवार नीचे खबर में पढ़ सकते हैं।
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है, जिसका इंतजार सभी रामभक्तों हैं। इस बीच एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें भगवान राम का मंदिर दिख रहा है। बता दें कि यह तस्वीर अंतरिक्ष से ली गई है।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 50 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद फिर से चांद पर मानवों के कदम जल्द पड़ेंगे। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का 2024 का यह मून मिशन तकनीकी वजहों से एक साल के लिए स्थगित हो गया है। अब यह 2025-26 में चांद के लिए रवाना होगा। चांद पर पहलीबार 20 जुलाई 1969 को मानव ने पहला कदम रखा था।
चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 की सफलता के बाद अब इसरो का पूरा ध्यान मिशन गगनयान पर है। इस मिशन के तहत ISOR अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इतिहास रच दिया है। सूर्य मिशन पर भेजा गया आदित्य एल1 आज अपनी मंजिल एल1 पॉइंट पर पहुंच गया है। यहां अब यह लगभग 5 साल तक रहेगा।
इसरो ने फ्यूल सेल का सफल परीक्षण है। इस परीक्षण का लाभ इसरो को भविष्य के मिशनों में मिलेगा। बता दें कि इसके जरिए स्पेस में बिजली और पानी की व्यवस्था आसानी से की जा सकेगी। साथ ही एक अच्छी बात यह भी है कि फ्यूल सेल किसी तरह का उत्सर्जन नहीं करता है।
संपादक की पसंद