रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सैटेलाइट को 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है।
MT1 को 12 अक्टूबर, 2011 को ट्रॉपिकल मौसम और जलवायु अध्ययन के लिए ISRO और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी, CNES के ज्वाइंट सैटेलाइट वेंचर के रूप में लॉन्च किया गया था।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। चंद्रयान के बाद भारत ने अब 2023 में गगनयान समेत कई अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो 3 मानवों के साथ अंतरिक्ष में गगनयान भेजने की योजना तैयार कर रहा है।
रॉकेट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया है। पिछले साल 7 अगस्त को हुई इस लॉन्चिंग में गड़बड़ी हो गई थी।
ISRO Apprentice Training- ISRO अप्रेटिस पदों पर वैकेंसी निकालने जा रहा है। इन पद पर उम्मीदवारों का सेलेक्शन वॉक-इन-इंटरव्यू के आधार पर होगा।
पिछले 5 वर्षों के इतिहास में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने तेज गति से प्रगति की है। वर्ष 2017 से 2022 के दौरान हिंदुस्तान ने अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाई है। इस दौरान भारत ने 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों को लांच करने का गौरव हासिल किया है। इससे अंतरिक्ष में भारत का डंका बज रहा है।
‘यह भारत में अंतरिक्ष खगोल विज्ञान के विकास में एक बड़ी उपलब्धि है।’ आदित्य एल1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैगरेंगियन प्वाइंट1’ के पास स्थित एक कक्षा से सूर्य का अध्ययन करने का भारत का प्रथम अंतरिक्ष मिशन है।
इसरो कर्मचारियों को ले जा रही कार एक ट्रक से टकरा गई। दुर्घटना में चार युवकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया।
अंतरिक्ष क्षेत्र पिछले सालों में बड़ी तेजी से बढ़ा है, वहीं इसका कारण इनमें निजी क्षेत्र के आने को माना जाता है। दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट और इसरो ने हाल में ही एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, वहीं इस समझौते से अंतरिक्ष क्षेत्र में स्थापित स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की बढ़ती उपलब्धियों को देखते हुए अमेरिका ने भी हाथ मिला लिया है। भारत और अमेरिका एक ऐसे अंतरिक्ष मिशन पर सहमत हुए हैं कि जिसके बारे में सुनते ही चीन में चिंता छा गई है। भारत और अमेरिका की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी नासा और इसरो ने मिलकर इसी वर्ष "NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार सैटेलाइट" छोड़ेंगे।
इसरो से जारी हुई जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें में साफ-साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ का कौनसा हिस्सा धंसने वाला है। यह सभी तस्वीरें काटरेसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं।
यदि यह उड़ान सफल रही तो इसरो को 10 से 500 किलोग्राम तक वजन के छोटे उपग्रहों के लिए मांग आधारित प्रक्षेपण सेवा शुरू करने का अवसर मिलेगा। इस उड़ान की सफलता इसरो को बड़ी कामयाबी दिलाएगी।
ISRO की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इस वैकेंसी के जरिए असिस्टेंट, जूनियर पर्सनल असिस्टेंट, अपर डिवीजन क्लर्क और स्टेनोग्राफर जैसे पदों पर भर्तियां की जाएंगी।
2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के सफल लॉन्च के अलावा, भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नाम से जाने जाने वाले अपने मिशन को चंद्रमा पर भेजने का दो बार प्रयास किया है। चंद्रमा के लिए तीसरा उपग्रह मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल लॉन्च किया जाएगा।
Oceansat सीरीज के सैटेलाइट अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट हैं और इसका इस्तेमाल समुद्र विज्ञान और वायुमंडल के अध्ययन के लिए होगा।
First Private Rocket Vikram-S Launched from Sriharikota:अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद कर चुके भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। श्रीहरिकोटा से भारत ने अपना पहला निजी राकेट विक्रम - S को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसे देश के अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है।
मन की बात के 94 वें एपिसोड में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पूजा, देश में सौर्य उर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में हो रहे विकास और उन्नति के प्रयसो को लेकर बात की। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों के आयोजन और उसकी सफलता को लेकर बात की।
NASA: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है कि वह अगले साल अक्टूबर में इसी नाम के एक सैटेलाइट की जांच के उद्देश्य से अपने साइके मिशन को लॉन्च करेगी।
NASA James Webb Telescope: पिलर्स ऑफ क्रिएशन के वेब के नए दृश्य को पहली बार 1995 में नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा और फिर 2014 में दोबारा से चित्रित किया गया था। हजारों तारे टिमटिमाते हुए ब्रह्मांड के बीच में खड़े विशाल सोने, तांबे और भूरे रंग के पिलर्स के टेलीस्कोप के पहले शॉट को रोशन करते हैं।
‘‘हमें नये उपग्रहों को एल-1 बैंड से लैस करना होगा, जो सार्वजनिक उपयोग के लिए एक विशिष्ट जीपीएस बैंड है। हमारे पास यह नाविक में नहीं है। यही कारण है कि यह नागरिक क्षेत्र में आसानी से प्रवेश नहीं कर पाया है।’’
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