इंडिया टीवी पैसाबताने जा रहा है कि सरकार ने किन सेक्शंस में टैक्स छूट की सीमाओं में बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे टैक्स कैल्कुलेट करने में आसानी होगी।
हम बताने जा रहे हैं कि कैसे 80सी के सेविंग कर आप टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। साथ ही अतिरिक्त छूट हासिल करने के लिए क्या उपाय हैं।
इस साल इंश्योरेंस सेक्टर में 12,000 करोड़ रुपए से अधिक का एफडीआई आने की संभावना है। विदेशी कंपनियों की इस क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना है।
अक्सर हम पहली बार इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त कुछ बातों का ख्याल नहीं रखते और गलत पॉलिसी में पैसा लगा देते हैं। इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है।
टर्म इंश्योरेंस और होल लाइफ इंश्योरेंस के बीच किसका चुनाव करें और इन दोनों प्रोडक्ट्स के क्या फायदे और नुकसान हैं, बता रहा है इंडिया टीवी पैसा।
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायतों का अंबार बढ़ता ही जा रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 में शिकायतों की संख्या 25,600 पर पहुंच गईं।
निवेश के रिटर्न पर टैक्स की गणना किए बगैर इंवेस्टमेंट करना हमेशा घातक होता है। ऐसे में आपको रिटर्न पर लगने वाले टैक्स का गणित समझ लेना जरूरी है।
देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का शुद्ध लाभ 2014-15 में 10.4 फीसदी बढ़कर 36,087 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
अब कार या स्कूटर के मोटर इंश्योरेंस के लिए एजेंट या कंपनी ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है। यह काम आपके बैंक का एटीएम भी कर सकेगा।
इरडा की ओर से जारी की गई गाइडलाइन्स के अनुसार राइडर्स पर प्रीमियम आपके हेल्थ इंश्योरेंस बेस प्लान के 30 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
अक्सर हम निवेश और फाइनेंशियल प्लानिंग में इन पांच बातों का ख्याल रखें तो हमारा भविष्य न सिर्फ सुरक्षित होगा वहीं खुशहाल भी बन जाएगा।
चाइल्ड इंश्योरेंस वास्तव में इंश्योरेंस-कम- इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स होते हैं, जो आपकी अनुपस्थिति में आपके बच्चे के भविष्य को सुरक्षित रखते हैं।
नए साल पर लोगरिजोल्यूशन बनाते है। लेकिन हमें अपनी फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भी रिजोल्यूशन तय कर उन्हें पूरा करने के प्रयास करने चाहिए।
अगर आपको अपने ऑफिस से ग्रुप इंश्योरेंस का फायदा मिल रहा है, फिर भी आप पर्सनल हेल्थ पॉलिसी जरूर लें। इससे आपको अनिश्चितताओं से बेहतर रूप से सुरक्षा मिलेगी।
ऑनलाइन इंश्यारेंस खरीदने से पहले कुछ चीजें ध्यान रखनी बहुत जरूरी हैं, जिससे भविष्य में क्लेम या दूसरी जरूरत के वक्त मुश्किल नहीं आती।
हम सभी बेहतर भविष्य के लिए किसी न किसी इंवेस्टमेंट टूल्स की मदद लेते हैं। लेकिन हम में से कुछ ही लोग निवेश के तय किए गए लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं।
एक्स शोरूम और ऑनरोड प्राइस में अन्तर आपको बताने जा रहे हैं साथ ही कि वे कौन से खर्चे हैं, आपको अपनी कार या बाइक घर लाने से पहले कीमत में जोड़ लेने चाहिए।
एक्सीडेंट इंश्योरेंस अनिश्चितताओं से मुकाबला करने का आसान तरीका है, इसे आप स्टैंड अलोन पॉलिसी की तरह ले सकते हैं या फिर राइडर के रूप में अपना सकते हैं।
अगर आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपको पूरा कवर नहीं दे पा रही है। तो इस प्रकार आप एक कंपनी से दूसरी कंपनी में पॉलिसी को पोर्ट करा सकता हैं।
देश में जिस तेजी से इंश्योरेंस सेक्टर विस्तार कर रहा है, उतनी तेजी से मिस सेलिंग यानि कि गलत इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
संपादक की पसंद