रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी 1,838 परियोजनाओं में 448 की लागत में बढ़ोतरी हुई है और 792 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की संयुक्त राष्ट्र ने जमकर सराहना की है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत में तेजी से हुए बुनियादी ढांचे में निवेश से गरीबी दूर होने के मॉडल की भी प्रशंसा की है। बता दें कि डिजिटल इंडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में भारत का दुनिया लोहा मान रही है।
चीन से लगी सीमा पर ड्रैगन की घेराबंदी करने के लिए भारत ने पिछले 8 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर का इतना बड़ा जाल बिछा दिया कि जिसे देखकर चीन भी दंग रह गया है। सीमा पर भारतीय सेना की सतर्कता और तैयारियों को देखकर घुसपैठ करने की चीन की हिम्मतें भी जवाब देने लगी हैं।
इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।
बुनियादी ढांचा (Infrastructure Projects)क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 386 परियोजनाओं की लागत काफी बढ़ गई है।
China BRI VS West PGII: पश्चिमी देश शुरू से ही चीन की परियोजनाओं को लेकर चिंता जताते रहे हैं और अब वह इसका विकल्प लेकर आगे आए हैं। पीजीआईआई चीन का सामना करने के लिए सबसे बड़ी परियोजना है लेकिन इसके भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
गडकरी ने कहा कि वह भारत में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से बात कर रहे हैं, लेकिन वह उनकी प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट के तहत 7,000 प्रोजेक्ट की पहचान की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकारों से अपील की कि वे आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए पूंजीगत व्यय और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की रफ्तार तेज करें।
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