भारत में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई कम हुई है। मंदी से जूझ रही दुनिया के कई देशों की तुलना में हमारे लिए अच्छी खबर है। भारत में मंदी आने की भी संभावना बेहद कम है। पढ़िए महंगाई दर कम होने का असर आम जनता पर कितना पड़ेगा।
आज खुदरा महंगाई के आंकड़े भी आएंगे। इसमें भी राहत की उम्मीद संभावना जताई जा रही है। गौरतलब है कि खुदरा महंगाई अक्टूबर में 7 फीसदी के पार पहुंच गई है।
सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी। अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़े सोमवार को जारी होंगे।
चुनौतियों का बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है। हम अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करते हैं। बाहरी कारणों से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है। हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
Ukraine's GDP fell sharply deu to War:रूस के साथ चल रहे युद्ध ने नौ महीने में यूक्रेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अब तक इतनी बड़ी गिरावट कर दी है कि उसका जल्द उबर पाना अब मुश्किल लग रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन को युद्ध के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
Inflation hit in New Zealand and Greece:श्रीलंका, पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे देश तो महंगाई से पहले ही बर्बाद हो चुके हैं। इसके बाद अब बड़े देश लगातार महंगाई की चपेट में आ रहे हैं। इस कड़ी में ब्रिटेन के बाद अब ग्रीस और न्यूजीलैंड में महंगाई बेकाबू होने लगी है। इससे आमजनता का धैर्य भी जवाब दे रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर सिर्फ इन दो देशों पर ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों पर पड़ा है। यही वजह है कि यूरोप के कई देशों में महंगाई चरम पर है और जनता सड़क पर उतरने लगी है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस समय चौतरफा मुश्किलों से घिरा है। एक ओर रुपया गिर रहा है वहीं महंगाई बढ़ रही है। आरबीआई हर मोर्चे पर फेल होता दिख रहा है। लेकिन शक्तिकांत दास ने इसका बचाव किया है।
खाद्य मुद्रास्फीति की दर इस साल अगस्त में 6.46 प्रतिशत तथा इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में 2.26 प्रतिशत की तुलना में सितंबर, 2022 में 7.76 प्रतिशत रही।
जानकारों का कहना है कि इस बैठक में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई सख्त फैसले ले सकता है। एक बार ब्याज दरों में और बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है।
Britain New PM Race: ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद से ही भारतीय मूल के ऋषि सुनक इस दौर में सबसे आगे चल रहे हैं। पिछली बार भी ऋषि सुनक ने लिज ट्रस को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि लिज ट्रेस ने टैक्समाफी वाले मामले पर वादा करके सुनक से आगे निकल गईं थीं।
खाद्य मुद्रास्फीति एक साल पहले की तुलना में 14.5 प्रतिशत तक बढ़ गई। यह 1980 के बाद की सर्वाधिक खाद्य मुद्रास्फीति है।
खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह लगातार नौंवां महीना रहा जब मुद्रास्फीति आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है।
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुद्रास्फीति दर, जो भारत में 7 प्रतिशत से अधिक है, वर्तमान में कुछ अन्य देशों की तुलना में प्रबंधनीय स्तर पर है।
रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर मुद्रास्फीति के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया गया है, तो आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी।
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत थी।
आरबीआई ने रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए चुनौतीपूर्ण वैश्विक भू-राजनीतिक हालात के बीच चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
Flood in Pakistan: बाढ़ की बर्बादी में बह रहे पाकिस्तान को पैर पर खड़ा होने के लिए अब दसों वर्ष का समय लग सकता है। पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक उसे इस बाढ़ में 28 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में फिर से पाकिस्तान की सामान्य व्यवस्थाओं का पटरी पर आना असंभव लग रहा है।
Recession: आईडीसी (IDC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दो में से एक वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों (59 प्रतिशत) का मानना है कि आने वाले वर्ष में मंदी होगी।
रिजर्व बैंक ने 6 फीसदी महंगाई को सहनीय स्तर माना है। लेकिन महंगाई इस सहनीय स्तर को बीते कई महीनों से पार कर रही है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़