भारतीय रिजर्व बैकं (आरबीआई) ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याद दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है और इसे 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आईएएनएस-सीवीओटर सर्वेक्षण से पता चला कि उत्तरदाताओं में से 43 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि बजट के बाद कीमतें नहीं घटेंगी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसका पांच साल का उच्चस्तर है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुदरा महंगाई दर बढ़कर साढ़े पांच साल के उच्चतम स्तर 7.35 फीसदी पर पहुच जाने के बाद मंगलवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
खाने के तेल की महंगाई को लेकर गंभीर हुई मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) की तैयारी तेज कर दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले भारत वैश्विक आर्थिक मंदी से कम प्रभावित है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि आजाद भारत में पहली बार विकास दर के मुकाबले महंगाई दर को मोदी सरकार ने बढ़ने नहीं दिया।
देशभर में प्याज की आसमान छूती कीमतों ने अब रिजर्व बैंक को भी परेशान करना शुरू कर दिया है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर नवंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.58 प्रतिशत महंगाई दर रही। बीते तीन महीने में पहली बार इजाफा हुआ है।
प्याज की महंगाई ने जहां लोगों का जायका बिगाड़ दिया है, वहीं तमाम जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को जीवन-निर्वाह के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
निकट भविष्य में महंगाई ज्यादा होने की चिंता जाहिर करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि टेलीकॉम ऑपरेटरों (दूरसंचार संचालकों) द्वारा हाल में टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने की घोषणा से देश में महंगाई दर बढ़ेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.1- 4.7 प्रतिशत कर दिया है।
पाकिस्तान में महंगाई दर 12.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो कि नौ वर्ष में अपने उच्च स्तर पर है। ऐसा मुख्यत: खाद्य पदार्थो की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से हुआ है।
देश में वेतनभोगियों की 2020 में सालाना औसत वेतन वृद्धि 9.2 प्रतिशत होने की उम्मीद है। यह एशिया में सबसे अधिक होगी।
आम जनता में एक बार फिर महंगाई की मार पड़ रही है। प्याज की कीमतों में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है।
गैर-खाद्य सामग्रियों की कीमतें कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर 0.33 प्रतिशत पर आ गई।
प्याज, टमाटर के बाद अब लहसुन के बढ़ते दामों ने भी भोजन का जायका बिगाड़ दिया है। प्याज और टमाटर की महंगाई पर अब लहसुन का तड़का लगा है।
इस बार त्योहारी सीजन में सब्जियों की कीमतों में कमी आने की उम्मीद कम है। रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में आशंका जताई है कि सर्दियों की सप्लाई शुरू होने तक सब्जियों की कीमतें ऊपरी स्तर पर बनी रह सकती हैं।
बरसात में फसल खराब होने के कारण प्याज, टमाटर समेत हरी सब्जियों की महंगाई से परेशान आम उपभोक्ताओं को अब अनाज भी ऊंचे दाम पर खरीदने पड़ेंगे। बीते दो दिनों से गेहूं मक्का समेत कई अनाजों के भाव में तेजी का रुख बना हुआ है।
उन्होंने नरमी से निपटने के लिए सरकार को बजट में निर्धारित खर्च को शुरू में ही करने का सुझाव दिया।
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