औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाने पीने की कुछ वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों में आई बढ़त का असर देखने को मिला है।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। सबसे ज्यादा तेजी तेल, फल दलहन की कीमतों में देखने को मिली है।
मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मई 2021 (मई, 2020 के मुकाबले) में बढ़कर 12.94 प्रतिशत हो गई, जो मई 2020 में ऋणात्मक 3.37 प्रतिशत थी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बुने गए महंगाई के जाल से आम आदमी बुरी तरह तंग आ चुका है।
अमेरिका में मुद्रास्फीति मई महीने में पिछले साल के मुकाबले 5 प्रतिशत बढ़ गयी है।
मार्च में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 3.24 प्रतिशत रही और इस दौरान दालों, फलों तथा धान की कीमतों में कमी हुई।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान की ही एक महिला ने लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान महंगाई पर सवाल पूछकर शर्मिंदा कर दिया।
कृषि मजदूरों के लिए महंगाई दर बढ़कर 2.67 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि जनवरी के महीने में 2.17 प्रतिशत पर थी। वहीं ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.76 प्रतिशत हो गई है , जो कि इससे पिछले महीने में 2.35 प्रतिशत पर थी।
प्राइमरी आर्टिकल, फ्यूल और पावर, मैन्य़ूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और खाद्य पदार्थों सभी मुख्य सेग्मेंट में महंगाई दर में बढ़त देखने को मिली है।
पेट्रोल डीजल की कीमत में वृद्घि ने महंगाई में आग लगाने का काम कर दिया है। देश में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं, चना और सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है और जल्द ही तमाम रबी फसलों की आवक जोर पकड़ने वाली है।
खुदरा खाद्य महंगाई दर फरवरी के दौरान 3.87 प्रतिशत के स्तर पर रही है जो कि जनवरी में 1.96 प्रतिशत के स्तर पर थी। फरवरी में ग्रामीण क्षेत्रों में दर 2.89 प्रतिशत पर और शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 5.63 प्रतिशत पर रही थी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के रहने वाले नही हैं, वह दूसरे प्रदेश से आये हैं लेकिन फिर भी यहां की जनता ने उन्हें स्वीकार किया है और प्रदेश की जनता को उन्हें धन्यवाद देना चाहिये।
लगभग तीन-चौथाई लोगों को लगता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, महंगाई अनियंत्रित हो गई है और कीमतें बढ़ गई हैं। ये खुलासा हुआ है आईएएनएस-सीवोटर के बजट पर एक सर्वे में।
दिसंबर के दौरान कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर घटकर 3.25 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई दर 3.34 प्रतिशत रह गई। नवंबर में ये महंगाई दर 6 प्रतिशत और 5.86 प्रतिशत था।
दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति भी घटकर 4.59 प्रतिशत पर आ गई है। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है।
खाद्य महंगाई दर दिसंबर 2020 में घटकर 3.41 प्रतिशत रह गयी जो एक महीने पहले 9.5 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है।
खाने-पीने की वस्तुओं की थोक कीमत नवंबर में 3.94 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 6.37 प्रतिशत था।
माह के दौरान सब्जियों और आलू में कीमत वृद्धि सबसे ज्यादा क्रमश: 25.23 प्रतिशत और 107.70 प्रतिशत रही। गैर-खाद्य पदार्थों और खनिजों में मुद्रास्फीति भी क्रमश: 2.85 प्रतिशत और 9.11 प्रतिशत रही।
सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कुछ जिलों में बाढ़ के कारण मौसमी उत्पादों की कीमतों में तेजी आई है।
सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के महीने में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में 0.2 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। अगस्त में IIP के लिए ये आंकड़ा निगेटिव 8 फीसदी का था। आईआईपी में ये सुधार बिजली और खनन क्षेत्र में रिकवरी की मदद से दर्ज हुआ है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़