दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यहां महंगाई इस कदर है कि हर 17वें दिन वस्तुओं के दाम दोगुने हो रहे हैं।
देश में पिछले 5 दिन से ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल की वजह से टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि आलू, प्याज और दूध की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
देशभर में ट्रक हड़ताल ही वजह से हो रही परेशानी के बावजूद राहत की बात ये है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ी है। बीते 2 दिन के दौरान रोजमर्रा के इस्तेमाल की अधिकतर चीजों के दाम या तो स्थिर हैं या फिर कुछेग जगहों पर बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है। कई जगहों पर तो रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछेक जरूरी चीजो के दाम बढ़ने के बजाय घटे हैं। हड़ताल 20 जुलाई को शुरू हुई थी और आधिकारिक तौर पर अभी खत्म नहीं हुई है।
देश के थोक महंगाई दर (WPI) में जून महीने में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है। जून में यह चार साल के उच्चतम स्तर 5.77 फीसदी पर रही जबकि मई में यह 4.43 फीसदी थी। अगर हम पिछले वर्ष के समान महीने की बात करें तो यह 0.90 फीसदी थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
नए ऑर्डर के बढ़ने से सेवाओं के कारोबार में इस वर्ष जून में पुन: तेजी लौट आयी और इस क्षेत्र में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। निक्केई/आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में 52.6 के स्तर पर पहुंच गया जो जून 2017 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई दर पर अंकुश लगाने के लिए के प्रमुख नीतिगत दरों में आगे और भी वृद्धि कर है और इसके लिए गुंजाइश भी है। यह मानना है कि वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी का जिसने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है।
वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों मसलन बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (BofAML), डॉयचे बैंक और यूबीएस के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में और अभी होने वाली वृद्धि तुलनात्मक आधार के विपरीत प्रभाव की वजह से होगी। यह प्रभाव खत्म हो ही यह यह नीचे आएगी।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 115 प्वाइंट की बढ़त के साथ 35558 पर कारोबार कर रहा है जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 33.90 प्वाइंट की तेजी के साथ 10801.55 पर ट्रेड हो रहा है
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता के बीच आज मुख्य नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया है, जिससे बैंक कर्ज महंगा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ महीनों के दौरान कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंता बढ़ी है।
देश के कुछेक राज्यों में किसान आंदोलन के बावजूद सब्जियों की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है और दूध के दाम तो 3 दिन से स्थिर हैं। इस तरह की खबरें आ रही थी कि कई जगहों पर किसानों ने फल और सब्जियां सड़कों पर फैंकी हैं और साथ में दूध भी सड़कों और नालियों में बहा दिया है। लेकिन कीमतों को देखते हुए लग रहा है कि यह घटनाएं कुछ सीमित जगहों पर ही हुई हैं, शायद यही वजह है कि सब्जियों और दूध की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
तेल की बढ़ती कीमतों से जनता में बढ़ा गुस्सा, सरकार बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने पर कर सकती है विचार
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (CPI) महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। देश की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में बढ़कर 4.58 फीसदी पर रही, जो मार्च में 4.28 फीसदी थी और पिछले साल के अप्रैल में 2.99 फीसदी थी।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से देशभर में महंगाई बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के दौरान थोक महंगाई दर (WPI) 4 महीने के ऊपरी स्तर पर दर्ज की गई है।
हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से फ्यूल एंड पावर बास्केट की महंगाई दर फरवरी के 3.81 प्रतिशत से बढ़कर 4.70 प्रतिशत हो गई है।
आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
देश के पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को भी अब चीजों के बढ़ते दामों की चिंता सताने लगी है।
ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से फरवरी महीने में थोक महंगाई दर (WPI) सात महीने के न्यूनतम स्तर पर पहंच गई। फरवरी में थोक महंगाई दर 2.48 फीसदी रही।
महंगाई दर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े उम्मीद से अच्छे रहे हैं। जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई है जो अनुमान से कहीं ज्यादा है
आर्थिक मोर्चे पर सरकार को आज बड़ी राहत मिली है। फरवरी महीने में महंगाई की दर में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं देश में औद्योगिक उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर के लिए अच्छे संकेत हैं।
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