सब्जियों की महंगाई गिरावट के साथ 28.57 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर में यह 63.04 प्रतिशत थी। हालांकि, आलू की महंगाई 82.79 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही, जबकि प्याज की महंगाई नवंबर में तीव्र गिरावट के साथ 2.85 प्रतिशत पर आ गई।
Inflation Rate in November : खुदरा महंगाई नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई है। अक्टूबर में यह 6.21 प्रतिशत के स्तर पर थी।
अक्टूबर में आलू और प्याज की मुद्रास्फीति क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर रही। सब्जियों की मुद्रास्फीति 63.04 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर में यह 48.73 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।
महंगाई के खिलाफ एक अफ्रीकी देश बच्चों को दुनिया की सबसे खौफनाक सजा देने जा रहा है। इसके बारे में सुनकर आपका दिमाग हिल जाएगा।
आरबीआई पेपर में यह स्पष्ट किया गया है कि पेपर केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, मौद्रिक नीति संचरण पर अध्ययन में पाया गया कि मौद्रिक नीति परिवर्तन दीर्घकालिक दरों की तुलना में अल्पकालिक ब्याज दरों को अधिक प्रभावित करते हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि कि फूड बास्केट में मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 9. 24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5. 66 प्रतिशत थी। एक साल पहले महीने में 6. 62 प्रतिशत थी।
उत्पादन में कमी के कारण दालों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ईंधन की कीमतों में इस साल की शुरुआत में कीमतों में कटौती के कारण 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त 2024 में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चला है कि सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3. 65 प्रतिशत थी। यह जुलाई में 3. 60 प्रतिशत से अधिक थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा में अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता का कहना है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अच्छी बारिश हुई है। इसके कारण बांधों में मौजूद जल भंडार में इजाफा देखने को मिला है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज द्वारा 'इंडियन रेनफॉल ट्रैकर’के मुताबिक, समग्र बुवाई लगभग पूरी हो जाने के साथ, अब ध्यान कटाई के मौसम पर केंद्रित होगा।
अगस्त, 2024 में लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर काबू में रही। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही।
महीने-दर-महीने आधार पर, शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थालियों में कमी देखी गई, जिससे लागत में क्रमशः 4% और 3% की गिरावट आई। टमाटर, जो शाकाहारी थाली की लागत का लगभग 14% हिस्सा बनाते हैं, ने साल-दर-साल 51% की कीमत में गिरावट का अनुभव किया।
बांग्लादेश की तर्ज पर पाकिस्तान में भी व्यापक हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो चुका है। कभी महंगाई को लेकर तो कभी बिजली बिलों और करों में बढ़ोत्तरी को लेकर लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। इस बार महंगी बिजली और बढ़े कर के खिलाफ लोग आंदोलन कर रहे हैं।
अगस्त महीने में खाद्य वस्तुओं के दाम के आंकड़ों से पता चलता है कि अनाज, दाल और खाद्य तेल की कीमतों में व्यापक स्तर पर नरमी आई है। सब्जियों में आलू के दाम लगातार ऊंचे बने हुए हैं जबकि प्याज तथा टमाटर के दाम में कमी आई है।
फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा है कि वह फेड द्वारा अपनी प्रमुख ब्याज दर में कटौती शुरू करने से पहले मुद्रास्फीति में कमी के अतिरिक्त सबूत तलाश रहे हैं। जुलाई में डेयरी और फलों और सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई।
जुलाई में होलसेल प्राइस इंडेक्स में दर्ज की गई गिरावट इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप रही। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 5 साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गई।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। गवर्नर ने महंगाई पर कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी से खाद्य महंगाई में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
भारत में महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीनों के उच्च स्तर 5.08 प्रतिशत पर थी। जब तक खुदरा महंगाई दर नीचे नहीं आती है तब तक रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
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