सड़क किनारे मिली बच्ची की मौत के बाद बवाल मचा तो पुलिस ने जांच भी तेजी की। इस बीच बच्ची को सड़क किनारे रखने वाली नर्स की पहचान हो गई। इसके बाद पूरा मामला सामने आया।
अस्पताल के बयान में कहा गया कि बच्ची को जन्म से ही कोरोना वायरस संक्रमण था, और उसकी मां भी इससे संक्रमित थी।
मध्यप्रदेश के दमोह जिले के बटियागढ़ थानांतर्गत ग्राम पाडाझिर में 45 वर्षीय एक महिला ने शनिवार को अपने 16वें बच्चे को जन्म दिया, लेकिन उसके कुछ ही घंटों बाद इस महिला एवं उसके नवजात बेटे ने दम तोड़ दिया।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य तंत्र के कोविड-19 महामारी से निपटने में लगे होने और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण पिछले चार महीनों में यानी अप्रैल से इन गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत हुई है।
राजकोट के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मनीष मेहता ने कहा, ‘‘आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार अस्पताल में पिछले वर्ष दिसम्बर में 111 शिशुओं की मौत हो गई। वहीं नवम्बर में 71 और अक्टूबर में 87 शिशुओं की मौत हुई थी।’’
कोटा स्थित जे के लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मद्देनजर एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार रिपोर्ट में जोधपुर में नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा दिया गया है। कोटा के सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हुई है।
कोटा अस्पताल में बीते दिसंबर महीने में सौ से अधिक बच्चों की मौत पर राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिए गए बयान पर कहा कि इस पर हमारी प्रतिक्रिया अधिक दयालु और संवेदनशील हो सकती थी।
राजस्थान की गहलोत सरकार के दौरान कोटा के जेके लोन अस्पताल में एक महीनें में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। लेकिन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी तक कोटा जाकर अस्पताल का दौरा नहीं किया और न ही पीड़ित परिवारों का हाल जाना।
24 दिसम्बर तक बच्चों की मौत का आंकड़ा 77 था। उसके बाद 25 दिसम्बर से सात दिन में 22 बच्चों की मौत हो चुकी है। यानि दिसम्बर माह में अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा 99 तक पहुंच चुका है। इसके अलाव एक और दो जनवरी की शाम तक चार बच्चों की मौत के साथ यह आंकड़ा 103 पर पहुंच गया।
राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पूरे देश में जो माहौल बना हुआ है, उससे ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उठाया जा रहा है।
पाकिस्तानी सेना की तरफ से नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास की गई भारी गोलाबारी में घायल हुए 10 दिन के नवजात शिशु ने पुंछ जिले के एक अस्पताल में सोमवार को दम तोड़ दिया।
यूपी के कन्नौज से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है। यहां एक मां ने अपने आठ माह के दुधमुंहे बच्चे की गला दबा कर हत्या कर दी।
जेएमसीएच के अधीक्षक सौरभ बोरकाकोटी के अनुसार नवजात विशेष देखरेख इकाई में एक-छह नवंबर के बीच 15 नवजात बच्चों की मौत हुई है। बोरकाकोटी ने दावा किया कि यह मौत चिकित्सीय या अस्पताल की लापरवाही से नहीं हुई है।
भारत में वर्ष 2017 में 8,02,000 बच्चों की मौत हुई और यह आंकड़ा पांच वर्ष में सबसे कम है। शिशु मृत्यु दर अनुमान पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (यूएनआईजीएमई) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया है।
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