सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए यह खबर झटका देने वाली है। मई में आठ बुनियादी कोर सेक्टर की वृद्धि दर घटकर 2.8 फीसदी रही है। पिछले साल यह दर 4.4 फीसदी थी।
भारतीय उद्योगों ने मई महीने में विदेशी बाजारों से 1.32 अरब डॉलर जुटाए जो पिछले साल के इसी महीने जुटाई गई राशि से 45 फीसदी कम है।
सरकार ने स्पष्ट किया कि उद्योग आधार ग्यापन भरने के लिए उसने कोई पंजीकरण शुल्क नहीं रखा है।
सरकार औद्योगिक उत्पादन और थोकमूल्य संबंधी संशोधित सूचकांक लेकर आएगी ताकि उन्हें बदलते आर्थिक परिदृश्य के ज्यादा अनुकूल संकेतक बनाया जा सके।
जाट आंदोलन की आंच पड़ोसी पंजाब के इंडसट्री पर भी महसूस होने लगी है। व्यापारियों को कच्चे माल की कमी के साथ तैयार माल को भेजने में दिक्कत शुरू हो गई है।
इंडस्ट्री जगत ने सरकार से मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार में एफडीआई सीमा बढाने पर जोर देने को कहा। साथ ही कृषि में कंपनियों को अनुमति देने की मांग की।
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