पीएम नरेंद्र मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना हो चुके हैं। अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण-चीन सागर तक चीन अपनी दादागिरी पर उतारू है। इससे ताइवान से लेकर वियतनाम, फिलीपींस , मलेशिया, ब्रुनेई जैसे कई देशों के साथ तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए चीन के साथ चर्चा की है।
भारत और अमेरिका क्वाड को और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। दोनों देशों ने क्वाड आतंकवाद विरोधी कार्यों में प्रगति के लिए आपसी सहयोग को लेकर अपना संकल्प दोहराया है।
जर्मनी संग भारत हिंद-प्रशांत में भारी सैनिकों की तैनाती करेगा। भारत और जर्मनी व अन्य यूरोपीय देशों के इस साझा काम से चीन के होश उड़ जाएंगे। इससे भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंध भी और मजबूत होंगे।
वैश्विक समुद्री प्रतिद्वंदिता के बीच समुद्र का शहंशाह होना आम बात नहीं है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने के लिए दुनिया ने फिर भारत पर भरोसा जताया है। विश्व के तमाम देशों ने मिलकर एक बार फिर से भारी मतों से भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन परिषद के लिए चुना है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा और विकास के लिए भारत के साथ ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी साथ आने का ऐलान किया है। इससे चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं। अभी तक चीन इन क्षेत्रों में भी अपना प्रभुत्व जमाने और दादागिरी दिखाने का प्रयास कर रहा था। मगर इन देशों की घेराबंदी से चीन के हौसले पस्त होने लगे हैं।
दिल्ली में विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन के साथ बैठक की। इस बैठक में इजराइल-हमास युद्ध सहित इंडो-पैसिफिक जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
पूर्वी एशिया से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रक्षा, सुरक्षा और सहयोग सिर्फ भारत और अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी हो गया। इस क्षेत्र में चीन की दादागिरी रोकने के लिए भारत और अमेरिका ने खास रणनीति बनाई है। एस जयशंकर ने इसके लिए अमेरिकी रक्षामंत्री ऑस्टिन से वार्ता की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनजीए) की बैठक से अलग भारत, अमेरिकी, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने क्वॉड मीटिंग में हिस्सा लिया। इस दौरान क्वॉड ने चीन का नाम लिए बगैर उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गुस्ताखी करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। यूक्रेन युद्ध के समाधान और यूएनएससी में विस्तार पर चर्चा की।
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