देश के पहले लोकसभा चुनाव में 17 करोड़ से अधिक भारतीय मतदाताओं ने भाग लिया और उन्होंने अंग्रेजों के इस अनुमान को गलत साबित कर दिया कि भारतीय समाज लोकतंत्र का दायित्व नहीं निभा पाएगा। आज हम आपको आजाद भारत के पहले संसदीय चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक बाते बताते हैं।
आज भगत सिंह की जयंती है। आज हम आपको उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो आपको चौंका देंगे। जानकारी के लिए बता दें कि भगत सिंह को तय तारीख से पहले ही फांसी दे दी गई थी। इस दौरान अंग्रेजों में डर का माहौल था।
आपातकाल में जिस तरह से लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया था, उसे भारत में लोकतंत्र की हत्या की तरह देखा गया। इसका जवाब लोगों ने चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय गांधी को हराकर दिया था।
इतिहास में चार अप्रैल का दिन युद्ध की दो बड़ी घटनाओं के साथ जुड़ा है। 1858 में चार अप्रैल के दिन अंग्रेजी सेना के खिलाफ भीषण संघर्ष के बाद झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को झांसी को छोड़ना पड़ा था।
देश की आजादी की लड़ाई में कुछ नौजवानों का बलिदान इतना उद्वेलित करने वाला था कि उसने पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम का रूख बदलकर रख दिया इनमें एक नाम खुदीराम बोस का है, जिन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी दे दी गई।
भारत के दृष्टिकोण से इतिहास के पुनर्लेखन पर जोर देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती और उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से ही देखते...
उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत के इतिहास के साथ बहुत ज्यादा छेड़छाड़ हुई है
संपादक की पसंद