कोरोना देश—दुनिया में फिर पैर पसार रहा है। इसी बीच RBI ने माना है कि कोविड-19 की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘‘हम पांच-छह वर्षों तक पूंजीगत निवेश की रणनीति जारी रखते हैं तो अगले 20 वर्षों तक आठ फीसदी की सतत वृद्धि हासिल कर सकते हैं। इस तरह हम समाज में बदलाव ला सकते हैं।’’
मंत्रालय ने कहा, ‘‘बैठक में चर्चा का विषय निवेश को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना होगा। इसके अलावा बैठक में वृद्धि को प्रोत्साहन, सुधार, निवेश प्रोत्साहन और सुधार आधारित कारोबारी वातावरण के निर्माण के उपायों पर चर्चा होगी।’’
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि फिलहाल जिंसों की ऊंची कीमतों और कच्चे माल की कमी के मुद्दों से निपटने की जरूरत है, जिससे उपभोग और निजी निवेश को समर्थन दिया जा सके।
वित्त वर्ष 2021-22 में 10.25 प्रतिशत के साथ दहाई अंक की जीडीपी वृद्धि का अनुमान है, जो सरकार की प्रभावी नीतियों, आरबीआई के उदार रुख और देश में बेहतर कारोबारी भावनाओं द्वारा समर्थित है।
इक्रियर द्वारा आयोजित वार्षिक अंतरराष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद वैश्विक वित्तीय संकट के समय की तुलना में मजबूत है।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के वृद्धि दर के अनुमान को पहले के 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा समय तक प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है और एक बार फिर निर्यात पुनरूद्धार का आधार बनेगा।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि कोविड-19 की घातक दूसरी लहर की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का कुछ पुनर्मूल्यांकन हो सकता है, लेकिन देश के लिए दीर्घकालिक संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमण्यम का अनुमान है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बावजूद चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर आर्थिक समीक्षा के अनुमान के अनुरूप 11 प्रतिशत रहेगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियम ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछली कोविड- 19 की लहर के मुकाबले इस बार टीका उपलब्ध होने की वजह से बेहतर स्थिति में है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना वायरस महामारी के कारण 2020 में 6.9 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है, लेकिन 2021 में इसमें पांच प्रतिशत वृद्धि के साथ ‘‘मजबूत सुधार’’ का अनुमान है।
शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह दीर्घावधि में अमेरिकी बांड पर प्राप्ति, कच्चे तेल की कीमतों तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) ने कोरोना संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था में 2021 के दौरान तेज रिकवरी की उम्मीद जताई है।
भारत 2025 तक ब्रिटेन को पछाड़ कर फिर दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था एक पायदान नीचे खिसक कर छठे स्थान पर आ गयी है।
एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत, जो कि 2020 में कोरोना के चलते दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्था की लिस्ट से बाहर हो गया है, वहीं अगले 5 साल में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत एक बार फिर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
देश की वृहद आर्थिक स्थिति ‘काफी अनिश्चित’ है और चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को यह बात कही। कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आठ प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है।
'इंडिया ग्लोबल वीक 2020' में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल स्पष्ट संकेत हैं कि भारत वापस आने की राह पर है। हमने हमेशा तेजी से वापसी करने की क्षमता दिखाई है।
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