पाकिस्तान और चीन के बीच करीबी संबंधों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के संबंध में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि उस साझेदारी के बारे में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के माध्यम से चीन तक पश्चिमी तकनीकों/प्रौद्योगिकी के पहुंचने की आशंका को लेकर चिंता जतायी।
सेना प्रमुख ने बताया कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख ही नहीं उत्तरी फ्रंट से लेकर ईस्टर्न कमांड तक बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। फॉरवर्ड एरिया में भी उन्होंने सैनिकों की संख्या को बढ़ाया है जो हमारे लिए चिंता का विषय है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की हुई है और चीन की कार्रवाई की प्रतिक्रिया में भारतीय सशस्त्र बलों को उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी है।
गलवान घाटी में पिछले वर्ष जून में चीनी सैनिकों के साथ भीषण झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जो दशकों बाद दोनों पक्षों के बीच गंभीर सैन्य झड़प थी। चीन ने फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में उसके पांच अधिकारी मारे गए, जबकि माना जाता है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक थी।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख ने शिकायत की कि यूरोप से परामर्श नहीं किया गया था। कुछ विशेषज्ञों ने बाइडन के हालिया कदमों की तुलना डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ‘‘पहले अमेरिका’’ सिद्धांत के तहत उठाए गए कदमों से की है।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है।’’
एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा, "आठ दिन पहले एक बैठक के दौरान, भारत में अमेरिकी राजदूत ने मुझसे कहा कि अमेरिका अपनी पूंजी को चीन से भारत ट्रांसफर करने में रुचि रखता है। वे भारत की प्रगति और विकास के लिए अपनी प्रौद्योगिकी और पूंजी के साथ हमारा समर्थन करना चाहते हैं।"
भारतीय सेना ने एलएसी के पास लद्दाख के न्योमा में अग्रिम ठिकानों पर तैनात सैनिकों को अब चीन के साथ सीमा की रक्षा के लिए अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफलें और स्विस एमपी-9 पिस्टल बंदूकें प्रदान की जा रही हैं।
भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को ''तेजी'' से हल करने पर सहमति जतायी और 12वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता को ''रचनात्मक'' करार दिया।
भारत ने चीन के साथ शनिवार को हुई 12वें दौर की सैन्य वार्ता में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और पूर्वी लद्दाख में विभिन्न तनाव वाले बिन्दुओं से सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया।
एक मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि चीन की सेना ने एकबार फिर से हाल में भारत के नियंत्रण वाले इलाके में प्रवेश किया, जिसके बाद कम से कम एक झड़प की घटना हो चुकी है।
अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने तिब्बत और धर्मशाला की तुलना भी कर दी और कहा कि तिब्बत में चीन की सरकार ने तिब्बत में रेल और सड़क का संपर्क पहुंचाया है जो हमेशा ट्रैफिक के लिए खुला रहता है।
अबतक लद्दाख बॉर्डर पर मिली नाकामी से नाराज होकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ लगती सीमा की निगरानी करने वाले पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वेस्टर्न थियेटर कमांड में बड़ा बदलाव किया है।
पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के अगले चरण को लेकर चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच थल सेना प्रमुख के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार से लेह-लद्दाख के तीन दिवसीय दौरे पर भारत की अभियानगत तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
यह पता चला है कि चीन ने भी ऊंचाई वाले क्षेत्र के कई इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा ली है। सूत्रों ने कहा कि झड़प के बाद सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल और एकजुटता भी बढ़ी है।
सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि चीनी सैनिकों के रोटेशन की बड़ी वजह मौसम है। सूत्रों ने बताया कि LAC पर तैनात चीनी सैनिक अत्यधिक ठंड और ऊंचाई में पेश आने वाली अन्य समस्याओं से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
चीनी सरकार के दावों पर सवाल करने वाले Qiu Ziming से बौलखाकर ड्रैगन ने उनसे "नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने" के लिए 10 दिनों के भीतर प्रमुख घरेलू पोर्टलों और राष्ट्रीय मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी कहा है।
थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना लद्दाख क्षेत्र के निकट जारी सैन्य अभ्यास समेत चीनी सेना की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मीडिया से बातचीत में बांग्लादेश में चीन के राजदूत Li Jiming ने कहा कि अगर बांग्लादेश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ग्रुप Quad से किसी भी तरह से जुड़ता है तो चीन के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध काफी हद तक खराब हो जाएंगे।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन द्वारा बुलाई गई मंत्री स्तरीय उच्च स्तरीय सुरक्षा परिषद की बैठक का बहिष्कार किया है। चीन इस महीने इस निकाय का अध्यक्ष है।
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