एसएंडपी ग्लोबल ने कहा कि अधिक मांग के साथ-साथ मजबूत बैंक पूंजीकरण से बैंक ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन जमा वृद्धि में कमी आएगी। स्वस्थ कॉर्पोरेट बैलेंस शीट, सख्त अंडरराइटिंग मानक और बेहतर जोखिम प्रबंधन प्रथाएं एसेट क्वालिटी को और स्थिर करेंगी।
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि मौजूदा साल में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत होगी, जबकि पहले इसका अनुमान 6.8 प्रतिशत रहने का था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
India GDP growth rate : जीडीपी एक निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। वहीं, जीडीपी में शुद्ध करों (कुल कर संग्रह में से सब्सिडी हटाकर) को हटाने पर जीवीए निकलता है।
दूसरे देशों में जहां निवेश घट रहा है, उधर भारत में निवेश विशेष रूप से मजबूत बना हुआ है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से देश को लाभ हो रहा है।
Annual GDP growth : भारत से कम सालाना ग्रोथ रेट में इटली 0.7 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया 1.2 फीसदी, फ्रांस 1.3 फीसदी,ब्राजील 1.5 फीसदी, कनाडा 1.6 फीसदी, स्पेन 1.7 फीसदी, साउथ कोरिया 2.2 फीसदी शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि साल 1991 में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन उसे 2004 के बाद पूरा नहीं किया गया, आगे नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुधारों, विशेषकर भविष्योन्मुखी सुधारों पर जोर दिया।
चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के उम्मीदों से अधिक 7.3% की ग्रोथ रेट से आगे बढ़ने का अनुमान है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार, वैश्विक ग्रोथ के 2022 के 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023 में तीन प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। जीडीपी के आंकड़े पर पीएम मोदी ने कहा कि यह वृद्धि दर के आंकड़े वैश्विक स्तर पर परीक्षा की घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं।
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह 2023 में अनुमानित 5.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की दर से कम है। प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2024 में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
India's GDP: भारत हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। देश में कम हो रही महंगाई के चलते फिच रेटिंग्स ने भी इंडिया की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा दी है।
वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 20.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी। एजेंसी का मानना है कि महामारी की तीसरी लहर ना आने पर आने वाले तिमाहियों में भी सुधार देखने को मिलेगा।
राजकोषीय घाटा अगले दो साल तक ऊंचा बना रहेगा लेकिन कर्ज/जीडीपी अनुपात स्थिर होने का अनुमान है।
फिच सॉल्युशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 प्रतिशत कर दिया।
कोरोना वायरस महामारी के कारण 'लॉकडाउन' के चलते अगले वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर तेजी से घटकर 2.6 प्रतिशत पर आ सकती है।
सुस्त अर्थव्यवस्था के चलते भारत के लिए एक और बुरी खबर आयी है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग घटा दी है।
उद्योग मंडल भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के हालिया इकॉनोमिक आउटलुक सर्वे में चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर छह फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। सर्वे के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 6.9 फीसदी रह सकती है।
इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर भी 7 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसके इससे पहले 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
2019 के लिए चीन की ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया गया है। यानि 2018 के साथ 2019 में भी GDP ग्रोथ के मामले में चीन से आगे रहेगा
उद्योग जगत को अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर बढ़कर 8 प्रतिशत के करीब रहने की उम्मीद है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि मजबूत सुधार प्रक्रिया और राजकोषीय सूझबूझ ने तेजी की नीव रखी है।
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