अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर बड़ा बयान दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के विवाद से खुश नहीं हैं।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि जिन दो इलाकों में स्टैंडऑफ चल रहा है उनमें एक मोर्चे पर भारत काफी ताकतवर है और वहां चीनी सैनिकों के घुसने की उम्मीद ज्यादा नहीं है।
चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका की एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘निरर्थक’ हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
भारत ने बृहस्पतिवार को चीन के इन आरोपों को खारिज किया कि भारतीय सैनिकों ने लद्दाख और सिक्किम में सीमा पार कर चीनी क्षेत्र में घुसपैठ की।
एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है, तो दूसरी तरफ चीन अपने पड़ोसियों के खिलाफ लगातार आक्रामक कार्रवाई कर रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि चार भारतीय सैनिक और सात चाइनीज सैनिकों को चोट लगी है, जबकि इस झड़प के दौरान दोनों देशों के करीब 150 सैनिक मौके पर मौजूद थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन को एक दूसरे को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर ‘‘संतुलन’’ और आपसी ‘‘समझ’’ बनानी होगी।
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम करने और मतभेदों को दूर करने के प्रयासों का चीन ने समर्थन किया था। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग द्वारा पर्दे के पीछे से निभाई गई भूमिका को उजागर करते हुए यह बात कही।
भारत और चीन ने शनिवार को इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी है।
सरकार ने संसद को बुधवार को बताया कि 2016 से 2018 के बीच चीन की सेना द्वारा 1025 बार भारतीय सीमा का उल्लंघन किया गया।
भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व ब्रिगेडियर एच एस गिल और कर्नल मनोज कुमार ने किया। बैठक के अवसर पर शिष्टमंडल के नेताओं ने दीये जलाए। दोनों देशों ने सभी स्तरों पर संबंधों को मजबूत करने का भी जिक्र किया।
सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने बाद में विस्तार से बताया कि प्राथमिक एजेंडा पूर्वी नेपाल में किमाथांका में सीमापार सड़क निर्माण, मुस्टांग में कोराला सीमा पॉइंट और 2015 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए कोडारी और रासुवा राजमार्गो की मरम्मत करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच छह घंटे से अधिक समय तक आमने सामने बातचीत के बाद भारत और चीन ने शनिवार को सहयोग के नये अध्याय के शुरूआत करने तथा मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने का संकल्प जताया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कारोबार, निवेश और सेवा क्षेत्र से जुड़े विषयों पर एक नया तंत्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
पीएम मोदी ने कहा, “हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है। हमने तय किया है कि हम एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे।”
दोनों नेताओं ने जिस सहजता के साथ मुलाकात की, घूमे और बात की उससे साफ संकेत मिलता है कि भारत-चीन संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।
विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी राष्ट्रीय दूरदृष्टि को लेकर विस्तृत वार्ता की। उन्होंन बताया, “राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सभी मुद्दों पर काम करने की उम्मीद करते हैं।”
पीएम मोदी ने ‘शोर मंदिर’ परिसर में एक निजी रात्रिभोज में शी की मेजबानी की। मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया गया था। दोनों पक्षों से आठ-आठ प्रतिनिधियों को भी इस भोज के लिए आमंत्रित किया गया था।
बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल को निहारते सातवीं सदी के पंच रथ स्मारक की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नारियल पानी का आनंद लिया और कश्मीर मामले पर तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों को सहज बनाते हुए अनौपचारिक बातचीत की।
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