भारत-चीन के बीच बातचीत तब हो रही है, जब चीन ने 1 जनवरी से नए सीमा कानून लागू कर दिए हैं और पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है।
देखा जाए तो पूरे साल राजनीतिक और सैन्य स्तर पर शांति बहाली की कोशिशें चलती रहीं लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा नहीं जा सका है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की तरफ से जारी अलग-अलग अधिसूचनाओं के मुताबिक डम्पिंग-रोधी शुल्क एल्युमिनियम के कुछ उत्पादों, सोडियम हाइड्रोसल्फाइट, सिलिकॉन सीलैंट, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के घटक आर-32 और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन ब्लैंड्स पर लगाया गया है।
बुमला दर्रा सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। भारत की सीमा चौकी को चिह्नित करने वाली झोपड़ियां चीनी चौकियों से कुछ ही मिनटों की पैदल दूरी पर हैं, जहां चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) के सैनिक बर्फ से ढके हुए क्षेत्र को पूरी मेहनत से नियंत्रित कर रहे हैं।
मिसरी ने पूर्वी लद्दाख के गतिरोध का हवाला देते हुए कहा, ''हमारे संबंधों में अवसर और चुनौतियां दोनों शामिल थे, हालांकि, पिछले साल से जारी कुछ चुनौतियां रिश्ते में प्रमुख अवसरों पर हावी रहीं।''
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सीमा मामलों पर विचार विमर्श एवं समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति के संबंध में ‘स्पष्ट एवं गहराई’ के साथ चर्चा की और 10 अक्टूबर को हुए पिछले सैन्य स्तर की वार्ता के बाद के घटनाक्रम की समीक्षा की।
इस मानव रहित मशीन गन से बॉर्डर एरिया में किसी जानवर या बेगुनाह की जान को नुकसान न पहुंचे इसके लिए यह गन गोलियाँ दागने से पहले कंट्रोल रूम को टार्गेट का फोटो सेंड कर देता है ताकि किसी बेगुनाह की जान न जाये।
चीन ने पिछले कुछ सालों में अपने सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। उसने हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क का विस्तार किया है। उसने तिब्बत में बुलेट ट्रेन की शुरुआत भी की है जिसके मार्ग का निर्माण अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती कस्बे नींगची तक किया गया है।
पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। पिनाका रॉकेट सिस्टम 45 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने के साथ 44 सेकेंड में 12 रॉकेट दाग सकता है।
सोहनी से कुछ वक्ताओं के पहले एक पाकिस्तानी डिप्लोमैट ने BRI और CPEC के तारीफों के पुल बांधे तथा इसे क्षेत्र के लिए निर्णायक बताया। BRI का उद्देश्य चीन का प्रभाव बढ़ाना और दक्षिणपूर्ण एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है।
चीन और भूटान के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हाल में किए गए समझौते और उससे डोकलाम टाई-जंक्शन के आसपास के क्षेत्रों में भारत के रणनीतिक हितों पर पड़ सकने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सैन्य कमांडर ने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि सरकार के संबंधित प्राधिकारियों ने इसका संज्ञान लिया है।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कंपनी के CTO मोहित कुमार ने कहा कि गलवान संघर्ष में चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों के खिलाफ wired sticks और tasers के इस्तेमाल करने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने हमें गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा था। चीनी सैनिक तैनाती के दौरान अपने पारंपरिक हथियार अपने पास रखते हैं।
जानकारी के मुताबिक चीन ने अपने नगारी गुनसा एयरबेस पर बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों और य़ूएवी को तैनात किया है। इसके अलावा नागारी इलाके में बड़ी संख्या में टैंक और आर्टिलरी को भी उसने तैनात कर रखा है।
चीन का यह लेख साफ बताता है कि भारत के दबाव के आगे वह बौखला गया है और इसी बैखलाहट में उसने लेख में यह भी लिखा है कि अमेरिका तथा चीन के बीच बिगड़े रिश्तों का फायदा भारत उठाना चाहता है।
लद्दाख में LAC पर पिछले साल से लेकर अबतक गतिरोध जारी है। रविवार को LAC पर तनाव कम करने के लिए भारत औऱ चीन के बीच हुई 13वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही। भारत ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि एलएसी पर हालात यथास्थिति को बदलने के चीन के एकतरफा प्रयासों के कारण पैदा हुए हैं।
भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक और दौर आज होगा, जिसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर ध्यान दिया जाएगा।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गतिरोध के बाकी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भारत और चीन के बीच 13वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता रविवार (10 अक्टूबर) को होगी।
रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फेस ऑफ की स्थिति में आ गए। लेकिन बातचीत के जरिए विवाद को सुलझा लिया गया।
पाकिस्तान और चीन के बीच करीबी संबंधों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के संबंध में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि उस साझेदारी के बारे में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के माध्यम से चीन तक पश्चिमी तकनीकों/प्रौद्योगिकी के पहुंचने की आशंका को लेकर चिंता जतायी।
सेना प्रमुख ने बताया कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख ही नहीं उत्तरी फ्रंट से लेकर ईस्टर्न कमांड तक बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। फॉरवर्ड एरिया में भी उन्होंने सैनिकों की संख्या को बढ़ाया है जो हमारे लिए चिंता का विषय है।
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