प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनाव कम करने और बलों के पीछे हटने को लेकर सहमति बन गई है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारत की सरजमीं पर चीनी कब्जे का दुस्साहस लगातार बना है। सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा फैलाया जा रहा भ्रमजाल न देश सेवा हो सकता,न ही राष्ट्रभक्ति।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट 12,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थित एक अहम अग्रिम चौकी का शनिवार को दौरा किया।
भारतीय थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने पर भारत और चीन के बीच चौथे चरण की लंबी सैन्य बातचीत के बाद आज गुरुवार को कहा कि दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि पश्चिमी क्षेत्र में सीमावर्ती सैनिकों की और वापसी को बढ़ावा देने के लिये दोनों पक्षों में सहमति पर प्रगति हुई है।
पूर्वी लद्दाख के चुशूल में कल (14 जुलाई, मंगलवार) भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता होगी।
जयशंकर ने इंडिया ग्लोबल वीक में एक वीडियो संवाद सत्र में कहा, ‘‘हमने सैनिकों के पीछे हटने की जरूरत पर सहमति जताई है क्योंकि दोनों पक्षों के सैनिक एक दूसरे के बहुत करीब तैनात हैं। इसलिए पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया पर सहमति बनी है।’’
India China Border Standoff यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि यदि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे, बोल्टन ने कहा, ‘‘हां यह सही है।’’
उन्होंने कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वियों के बजाय भागीदार होना चाहिए। हम एक दूसरे को धमकी देने के बजाय विकास के अवसर प्रदान करने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के साथ बनी आपसी सहमति के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में टकराव स्थलों से अपने बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी कर दी।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीनी सेना Finger 4 से Finger 5 की तरफ चली गई है।
भारतीय सेना के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, Patrolling Point 17 (Hot Springs इलाका) से भी चीन की सेना पीछे हट गई है, जिसके बाद भारतीय सैनिक भी पीछे हटे हैं।
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अमेरिका भी मानता है कि भारत मे चीन की नीच हरकत का करारा जवाब दिया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार (8 जुलाई) को कहा कि चीन की अत्यंत आक्रामक गतिविधियों का भारतीयों ने सर्वश्रेष्ठ तरीके से जवाब दिया है।
अब जब चीनी सेना ने भारत की सेना की ताक़त और इरादों को देखा, तो उसने पीछे हटना सही समझा और अब उल्टे ये आरोप लगा रहा है कि भारत आक्रामक है।
1965 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस तरह से चीन को जवाब दिया, वह वाकई में इतना अनोखा था कि चीन तिलमिला गया था।
सतपाल महाराज ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग को प्राचीन ग्रंथ रामायण भेजकर संदेश देना चाहते हैं कि दशानन रावण की विस्तारवादी सोच के परिणाम स्वरूप ही उसका कैसा हश्र हुआ था।
साठ साल में चीन को कभी सख्त जबाव नहीं मिला था, इसलिए चीन की हिम्मत बढ़ी थी, लेकिन साठ साल में पहली बार चीन को भारत ने आंख दिखाई, तो ड्रैगन चुपचाप अपने रास्ते वापस हो लिया।
चीनी लोगों को चीनी फ़ौज सारा सामान दे रही है ताकि वो दिन और रात लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की निगरानी करने में साथ दे सके।
इस समय लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के दूसरी तरफ़ यानी चीन की तरफ करीब 35 हज़ार चीनी सैनिक तैनात हैं। इंडिया TV को इस बात की भी जानकारी मिली है कि इन सैनिकों के साथ साथ चीनी हथियारों को भी पीछे ले जाना होगा।
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