भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है।
बैठक में दोनों देशों के बीच शिड्यूल्ड यात्री उड़ानों की जल्द से जल्द बहाली को बढ़ावा देने के बारे में विचारों के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव है। दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य वार्ता भी हो चुकी है। इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद को लेकर कोई ठोस हल नहीं निकला है। भारत-चीन के तनाव भरे रिश्ते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जापान की राजधानी टोक्यो में खुलकर बात की है।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आसियान शिखर सम्मेलन में चीन के समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों में स्थिरता लाने के लिए सीमा विवाद सुलझाने, पूर्व समझौतों का सम्मान करने और डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति बनाई गई।
परमाणु हथियारों के मामले में भारत पाकिस्तान से ज्यादा ताकतवर है। एक रिपोर्ट में ये बात कही गई है। वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पहली बार चीन के पास कुछ हथियार हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर हैं।
भारत तिब्बती सीमांत व्यापार समिति दाराचुला के अध्यक्ष जीवन सिंह रोंगकाली ने कहा कि दिसंबर, 2022 में चीन तथा नेपाल द्वारा किए गए समझौते का कार्यान्वयन इस साल 25 मई को शुरू हुआ, जब चीन ने पूर्वी नेपाल के डोल्पा जिले में स्थित पियांगी दर्रे को खोल दिया।
चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बना हुआ है। दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार में मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक सामान, मशीनरी, रसायन और उर्वरक, लोहा, इस्पात और एल्यूमीनियम, प्लास्टिक और कई छोटे मूल्य वाली वस्तुएं जैसे ग्रूमिंग उत्पाद और टेबलवेयर शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के दौरान टॉप 15 व्यापारिक भागीदारों के साथ भारत के व्यापार में काफी बदलाव आया है। इससे न केवल आयात और निर्यात प्रभावित हुआ है।
भारत और चीन के बीच बीते कई दशकों से सीमा विवाद रहा है। इस बीच चीन की सेना ने बड़ा बयान दिया है। चीनी सेना की तरफ से कहा गया है कि सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए दोनों देश वार्ता कर रहे हैं।
एक विदेशी मीडिया को दिए पीएम मोदी के साक्षात्कार को लेकर चीन ने फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत-चीन ने सीमा विवादों को हल करने के लिए काफी सकारात्मक प्रगति की है। चीन ने भारत के साथ संबंध सुधरने की उम्मीद जताई है।
बीते कई दिनों से चीन की ओर से भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर उकसावा वाले बयान जारी किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने चीन के सभी दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अब असम के सीएम ने भी इस मामले में बयान दिया है।
अमेरिका ने बीते 9 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर भारत का साथ दिया था। अब चीन को ये बात बुरी लग गई है और उसने अमेरिका पर इस मामले को भड़काने का आरोप लगाया है।
भारत का रुख नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।
भारत और चीन के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक कि सैनिकों की तैनाती पूर्ववत स्थिति में नहीं हो जाती। चीन ने सीमा पर रक्तपात और हिंसा की है। साथ ही सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है। सीमा सुरक्षा से समझौता करके चीन से संबंध बहाल नहीं किया जा सकता। मलेशिया में विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही।
'आप की अदालत' में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रजत शर्मा के भारत-चीन मुद्दे पर पूछे गए कई सवालों का जवाब दिया। इस दौरान रजत शर्मा ने ये सवाल किया कि क्या चीन भारत पर आक्रमण कर सकता है? इसपर राजनाथ सिंह ने क्या कहा, जान लीजिए।
सीडीएस चौहान ने कहा कि हमें विवादित सीमाएं विरासत में मिलीं। चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे ने उन्हें एक नया पड़ोसी बना दिया और भारत के विभाजन ने एक नए राष्ट्र का निर्माण किया जो शत्रुता और हमारे प्रति नफरत पर पनपा।
भारत-चीन सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल पा रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी की हिंसा के बाद से ही सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इस बीच बीजिंग ने कहा है कि भारत और चीन के बीच के सारे द्विपक्षीय संबंध सिर्फ एलएसी के मुद्दे से ही तय नहीं हो जाते। जबकि भारत चीन पर समझौतों का पालन नहीं करने का आरोप लगाता रहा है।
भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।
भारत-चीन के बीच वास्तवि नियंत्रण रेखा पर 3 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे जबरदस्त तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 21वें दौर की सैन्य वार्ता में भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रखने के लिए सहमत हुई हैं। हालांकि विवादित क्षेत्रों का अब भी कोई हल नहीं निकल सका है।
गलवान घाटी हिंसा के 3 वर्ष बाद चीनी सैनिकों ने एक बार फिर उकसावे वाली कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी सैनिकों की इस बार भारतीय चरवाहों से भिड़ंत हो गई। मगर भारतीय चरवाहे उनसे दबे नहीं। चरवाहों की चीनी सैनिकों से जमकर कहासुनी हुई। इसके बाद अब विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है।
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