भारत एलएसी पर चीन को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है। चीनी सैनिक अगर उकसाते हैं तो सेना उसका जवाब ऑन द स्पॉट देती है। चीन जिस तरह सड़कों का जाल तैयार कर रहा है, उसी तरह भारत भी चीन से सटी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है। यही वजह है कि चीन चिढ़ा है।
India China: ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर 1993 और 1996 के समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उसने चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है, '17 जुलाई को भारत और चीन के बीच 16वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी, तब स्थिरता और शांति बनाए रखने पर सहमति बनी थी।
Indo-China Relationship: जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर से दोनों देशों के रिश्ते नाजुक दौर में पहुंच चुके हैं। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही है। गलवान घाटी के संघर्ष में देश के करीब 20 जवान शहीद हो गए थे।
India Post Independence War: आजादी के बाद से ही भारत एक ताकतवर देश के तौर पर उभरा है। उसने इन 75 सालों में कई बार जंग लड़ी। ये लड़ाइयां चीन और पाकिस्तान के साथ हुईं। भारत ने चीन को तो धूल चटा ही दी, साथ ही पाकिस्तान को भी हर बार मुहं की खानी पड़ी है।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कंपनी के CTO मोहित कुमार ने कहा कि गलवान संघर्ष में चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों के खिलाफ wired sticks और tasers के इस्तेमाल करने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने हमें गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा था। चीनी सैनिक तैनाती के दौरान अपने पारंपरिक हथियार अपने पास रखते हैं।
सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि लगभग 21-22 चीनी लड़ाकू विमानों ने, जिनमें मुख्य रूप से जे-11 शामिल हैं जो कि एसयू-27 लड़ाकू विमानों की चीनी कॉपी हैं और कुछ जे-16 लड़ाकू विमानों ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सामने एक अभ्यास किया।
रिपोर्ट में सबसे खराब और सबसे अच्छे परिदृश्यों पर गौर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक परिदृश्य यह है कि भारत और चीन के बीच तनाव कम हो और दोनों पड़ोसी देशों के बीच कारोबारी संबंध मजबूत हों। ऐसी स्थिति में वैश्विक अर्थव्यवस्था पूर्व दिशा की ओर स्थानांतरित हो जाएगी और अमेरिका इस बारे में कुछ खास नहीं कर पाएगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘भारतीय शस्त्र बलों को 2.5 फ्रंट के युद्ध लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अब बीते दौर की बात हो गई है। फिर भी हमें एक सीमाहीन युद्ध की तैयारी करनी चाहिए।’’
सूत्रों ने बताया कि पहले अचानक युद्ध की हालातों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को 10 दिन का गोला-बारुद और हथियार स्टॉक करने की इजाजत थी, जो अब दोनों मोर्चों चीन और पाकिस्तान को देखते हुए 15 दिन कर दी गई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी सकमक्ष वांग यी की बीच रूस की राजधानी मास्को में वार्ता खत्म हो गई है।
लद्दाख में LAC पर तनाव जारी है। दोनों देशों की सेनाएं लंबे समय से एलएसी पर आमने सामने है। इस बीच भारतीय सेना ने Pangong Tso झील के फिंगर 4 एरिया में चीन को बड़ा झटका दिया है।
वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, BRO सर्दियों से पहले सड़क को साफ करने के लिए भारी मशीनरी भी तैनात कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के लगभग 7 से 8 भारी वाहन अपने चेपुज़ी शिविर से वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से की ओर आ रहे थे, जिन्हें देख भारतीय जवान फौरन हरकत में आ गए और PLA की घुसपैठ को रोकने में सफल रहे।
पानी के भीतर अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना की परमाणु हमला करने की क्षमता वाली छह पनडुब्बी समेत 24 नयी पनडुब्बी खरीदने की योजना है। नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक पनडुब्बी और दो परमाणु संपन्न पनडुब्बी हैं।
पैंगॉन्ग झील के पास, चीन ने फिंगर-5 और 8 के पास अपनी स्थिति काफी मजबूत की है और भारत इस कदम का जोरदार विरोध करता रहा है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) ने मई के बाद से फिंगर-4 से फिंगर-8 तक कई तरह के निर्माण किए हैं और इस 8 किलोमीटर की पट्टी से पूर्व की तरफ हटने से उसने इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वियों के बजाय भागीदार होना चाहिए। हम एक दूसरे को धमकी देने के बजाय विकास के अवसर प्रदान करने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के साथ बनी आपसी सहमति के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में टकराव स्थलों से अपने बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी कर दी।
चीनी लोगों को चीनी फ़ौज सारा सामान दे रही है ताकि वो दिन और रात लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की निगरानी करने में साथ दे सके।
इस समय लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के दूसरी तरफ़ यानी चीन की तरफ करीब 35 हज़ार चीनी सैनिक तैनात हैं। इंडिया TV को इस बात की भी जानकारी मिली है कि इन सैनिकों के साथ साथ चीनी हथियारों को भी पीछे ले जाना होगा।
गलवान घाटी में विवाद के बिन्दु से चीन के पीछे हटने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर झाओ ने कहा, ‘‘अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक पीछे हटने और तनाव कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं और इस दिशा में प्रगति हुई है।’’
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