सेना ने कहा, ‘‘भारतीय सेना ने कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया।’’
यह सड़क सुरक्षा बलों को रणनीतिक संपर्क प्रदान करेगी क्योंकि यह पड़ोसी देशों की सेना की नजरों से दूर होगी। दो अन्य सड़कें- श्रीनगर-कारगिल-लेह रोड और मनाली सरचू-लेह रोड अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब हैं, जिससे दुश्मन के लिए उन पर निगरानी रखना आसान हो जाता है।
भारत और चीन के बीच सीमा पर भले ही तनाव हो और दोनो देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने हों, लेकिन इसके बावजूद चीन के नागरिकों के प्रति भारतीय सैनिकों का मानवीय व्यव्हार सबका दिल जीत रहा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को भारत-चीन सीमा विवाद के हल को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि वह ‘पूरी तरह से सहमत’ हैं कि भारत-चीन सीमा विवाद का समाधान कूटनीतिक दायरे में निकालना होगा।
चीन के साथ सीमा विवाद के कारण बने तनाव के बीच अब भारत ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नेपाल से सटे बॉर्डर और भूटान से लगी सीमा पर ITBP और SSB की तैनाती को बढ़ा दिया है।
चीन की पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 'ब्लैक टॉप' और 'हेलमेट' के नजदीकी क्षेत्रों में सैन्य तैनाती बढ़ाने के बाद यथास्थिति को बदलने के प्रयास में घुसपैठ की थी।
पानी के भीतर अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना की परमाणु हमला करने की क्षमता वाली छह पनडुब्बी समेत 24 नयी पनडुब्बी खरीदने की योजना है। नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक पनडुब्बी और दो परमाणु संपन्न पनडुब्बी हैं।
पैंगॉन्ग झील के पास, चीन ने फिंगर-5 और 8 के पास अपनी स्थिति काफी मजबूत की है और भारत इस कदम का जोरदार विरोध करता रहा है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) ने मई के बाद से फिंगर-4 से फिंगर-8 तक कई तरह के निर्माण किए हैं और इस 8 किलोमीटर की पट्टी से पूर्व की तरफ हटने से उसने इनकार कर दिया है।
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में चीनी अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्पों पर भी विचार हो रहा है।
शीर्ष सैन्य कमांडरों ने भी अपने फिल्ड कमांडरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी घटना या कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार होने के लिए कहा है। पूर्वी लद्दाख में तैनात सेना के जवानों को लंबे समय तक इस तनातनी के तैयार रहने के लिए कहा गया है।
राफेल फाइटर जेट LAC से करीब 1800 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में हुंकार भर रहे हैं। रात के अंधेरे में राफेल की सफल लैंडिंग की ट्रेनिंग चल रही है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अधिकतर स्थानों से सेना को पीछे हटा लेने के चीन के दावे पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
पूर्वी लद्दाख के चुशूल में कल (14 जुलाई, मंगलवार) भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता होगी।
जयशंकर ने इंडिया ग्लोबल वीक में एक वीडियो संवाद सत्र में कहा, ‘‘हमने सैनिकों के पीछे हटने की जरूरत पर सहमति जताई है क्योंकि दोनों पक्षों के सैनिक एक दूसरे के बहुत करीब तैनात हैं। इसलिए पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया पर सहमति बनी है।’’
उन्होंने कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वियों के बजाय भागीदार होना चाहिए। हम एक दूसरे को धमकी देने के बजाय विकास के अवसर प्रदान करने चाहिए।
भारतीय सेना के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, Patrolling Point 17 (Hot Springs इलाका) से भी चीन की सेना पीछे हट गई है, जिसके बाद भारतीय सैनिक भी पीछे हटे हैं।
चीनी लोगों को चीनी फ़ौज सारा सामान दे रही है ताकि वो दिन और रात लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की निगरानी करने में साथ दे सके।
चीन ने गलवान घाटी में अप्रैल 2020 के यथास्थिति को मानते हुए पीछे हटने का फैसला लिया और फिलहाल पेट्रोलिंग प्वॉइंट 14 से अपने सारे स्ट्रक्चर और गाड़ियों को हटा लिया है। वहीं पेट्रोलिंग प्वॉइंट 15 पर चीन ने लगभग अपनी बीस टेंट और करीब 200 जवानों को पीछे किया है।
लद्दाख में LAC पर तनाव कुछ कम होता नजर आ रहा है। चीन ने LAC से अपने सैनिक हटाने के लिए राजी हो गया है। गलवान घाटी से चीन ने अपने सैनिक हटाने भी शुरू कर दिए हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान भी छापा है जिसमें कहा गया है कि मंगलवार (30 जून) को कमांडर स्तर की बातचीत में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की तरफ से सक्रिय प्रयास हुआ है।
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