वास्विक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों की वापसी की नई तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों मे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चीन के सैनिक वापस लौट रहे हैं। इतना ही नहीं चीन की सेना (PLA) ने जो वहां पर निर्माण किए थे उन्हें भी ध्वस्त किया जा रहा है, निर्माण ध्वस्त होने की तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं।
साउथ बैंक से चीनी सैनिकों की वापसी का वीडियो आया है। इस वीडियो में वो कैंप दिख रहे हैं जो चाइनीज सैनिक खाली करके गए हैं। इन खाली कैंपों को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया।
भारत ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ एक समझौते को अंतिम रूप दिये जाने के परिणामस्वरूप किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा है। सरकार का यह बयान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दे दिया। साथ ही, उन्होंने इस समझौते को लेकर भी सवाल उठाये।
भारत और चीन के बीच पैंगोंग लेक पर सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता हो गया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारत-चीन सीमा के हालात पर अमेरिका पैनी नजर रखे हुए है। अमेरिका ने चीन द्वारा अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के रवैये पर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, ''सैनिकों के पीछे हटने का मुद्दा बहुत पेचीदा है। यह सेनाओं पर निर्भर करता है। आपको अपनी (भौगोलिक) स्थिति और घटनाक्रम के बारे में पता होना चाहिये। सैन्य कमांडर इस पर काम कर रहे हैं।''
भारतीय सेना ने जानकारी दी कि नॉर्थ सिक्किम में नाकु-ला बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच मामूली झड़प हुई है और इसे लोकल लेवल कमांडरों द्वारा बातचीत करके सुलझा दिया गया।
India China Tension: उन्होंने कहा कि हम चर्चा और राजनीतिक प्रयासों के माध्यम से अपने विवादों का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन किसी को भी हमारे धैर्य की परीक्षा लेने की गलती नहीं करनी चाहिए।
आर्मी चीफ मनोज मुकंद नरवणे ने कहा कि पिछला साल हमारे देश और सशस्त्र बलों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। सशस्त्र बल बड़ी कुशलता से उत्तरी सीमाओं पर बहादुरी से हर हालात में डटे रहे औऱ इन हालातों में महामारी का भी सफलतापूर्वक मुकाबला किया।
एलएसी पर पिछले साल से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है। यह 28 अगस्त, 2020 और 29 अगस्त, 2020 को एहतियाती तैनाती में भारतीय सैनिकों, पूर्व-विस्तारित चीनी विस्तारवादी डिजाइनों को रोक कर पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था।
आर्टिकल में लिखा है कि पैंगोंग झील इलाके में भारत की विशाल मिलिट्री को देखा जा सकता है। बता दें कि पैंगोंग झील के बीच से LAC गुजरती है, इस झील का एक बड़ा हिस्सा चीन के कब्जे वाले लद्दाख में हैं।
गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीन के नापाक इरादों को नाकाम करने के बाद भारतीय सेना (Indian Army) LAC और आसपास के क्षेत्र में लगातार बढ़त बनाती जा रही है।
India China News: Tawang sector में LAC पर बनी फॉरवर्ड पोस्टों से चीन की सेना की मौजदूगी देखी जा सकती है। यहां पिछले कुछ सालों में कम समय में forward पोस्टों पर पहुंचने के लिए तेजी से बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है।
India China Border News: चीन के राष्ट्रपति ने चीन की सेना में चार बदलाव किए हैं। जिनमें Western Theatre Command में किया गया बदलाव सबसे बड़ा बदलाव बताया जा रहा है। अब Gen. Zhang को भारत से लगती सीमा की जिम्मेदारी दी गई है।
जब CDS बिपिन रावत से पाकिस्तान की तरफ से लगातार किए जा रहे सीजफायर उल्लंघन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष को अधिक चिंतित होना चाहिए। हम पूरी तरह से तैयार हैं।
सूत्रों ने बताया कि पहले अचानक युद्ध की हालातों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को 10 दिन का गोला-बारुद और हथियार स्टॉक करने की इजाजत थी, जो अब दोनों मोर्चों चीन और पाकिस्तान को देखते हुए 15 दिन कर दी गई है।
अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने लद्दाख में भारतीय सीमा के पास चीन की जारी निर्माण गतिविधियों संबंधी खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि ये खबरें सही हैं, तो यह चीन की ओर से ‘‘उकसाने वाला कदम’’ है और यह दक्षिण चीन सागर में जारी बीजिंग की गतिविधियों जैसा ही है।
शी के बयान ऐसे समय में आये हैं जब छह महीने से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध की स्थिति है।
लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में सर्दियों के दिनों में 40 फीट तक बर्फबारी होती है। यहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीच तक चला जाता है और इस दौरान कई इलाकों का संपर्क सड़क भी कट जाता है। भारतीय फौज ने यहां रुकने के लिए पहले से बनाए गए स्मार्ट कैंपों के अलावा भी रहने के लिए नई व्यवस्था का निर्माण किया है।
India China News: भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि इस साल जून में गलवान घाटी में संघर्ष के बाद चीन की बातों और दावों पर विश्वास लगभग समाप्त हो गया है।
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