आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को सूचित किया कि आयकर (आईटी) अधिनियम, 1961 के मुताबिक, वेरिफिकेशन (सत्यापन) में देरी के विपरीत परिणाम हो सकते हैं।
आखिरी तारीख का इंतजार करने से बचते हुए जितनी जल्दी हो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले कुछ जरूरी होमवर्क पहले कर लेना चाहिए।
जानकारों का कहना है कि किसी भी टैक्सपेयर्स को आखिरी तारीख में रिटर्न फाइल करने का इंतजार नहीं करना चाहिए। आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है।
अगर आप नई टैक्स व्यवस्था के बजाय पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनना पसंद करते हैं, तो आपको अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले फॉर्म 10IEA जमा करना आवश्यक है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आप आखिरी तारीख का इंतजार न करें, जितनी जल्दी हो इसे फाइल कर लें, ताकि किसी तरह के करेक्शन की स्थिति में आपको मौका मिल सके।
अगर आपका इनकम टैक्स रिफंड न आए तो परेशान न हों। आयकर विभाग ने इसका भी सॉल्यूशन दिया है। आप रीइश्यू के लिए ऑनलाइन रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। रिफंड के फेल होने के पीछे गलत बैंक डिटेल (खाता संख्या, एमआईसीआर कोड, आईएफएससी कोड, नाम बेमेल आदि) और अकाउंट होल्डर का केवाईसी पेंडिंग होना भी हो सकता है।
Income tax return filing 2024 : निवासी और साधारण रूप से निवासी व्यक्ति आईटीआर-1 दाखिल कर सकते हैं। सभी स्रोतों से उनकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
How to register on e filing portal : अगर आपको जितना टैक्स चुकाना चाहिए था, उससे अधिक का भुगतान कर दिया है, तो आईटीआर फाइल करने से आपको टैक्स रिफंड प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
टैक्स की बचत करने के कई ऑप्शन हैं। कुछ निवेश कर तो कुछ साधन ऐसे हैं जिसमें बिना निवेश किए टैक्स बचाने के अवसर देते हैं। आप अपनी सहूलियत और क्षमता के हिसाब से टैक्स बचाने का अपना फैसला कर सकते हैं।
बजट 2024 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाए जाने की उम्मीद है। सरकार न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसे बढ़ाने पर विचार कर सकती है।
एमपी में अब तक मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकार ही जमा करते आई थी लेकिन सीएम मोहन यादव के इस फैसले के बाद अब इनकम टैक्स का भुगतान मंत्री खुद करेंगे। इस फैसले के बाद सरकारी खाते में राशि की बचत होगी।
टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर किसी टैक्स पेयर की कुल सालाना आय, इनकम टैक्स की छूट सीमा से अधिक है तो उसके लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति की आय 3 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक पांच गुना बढ़ जाती है, तो आयकर की दर छह गुना बढ़ जाती है, जो कि काफी अधिक है।
अगर आप मेडिकल इंश्योरेंस खरीदते हैं, तो आप आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए 25,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं।
अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने से चूक जाते हैं तो बाई-डिफॉल्ट न्यू टैक्स रिजीम अपना ली जाएगी। हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम में HRA, LTA, धारा 80C, 80D, आदि जैसी छूट का लाभ नहीं मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी, आवर्ती जमा यानी आरडी या किसी दूसरे ब्याज अर्जित होने वाले निवेश साधनों से हुई ब्याज आय पर टीडीएस से छूट का रिक्वेस्ट करने पर यह फॉर्म जमा करना होता है।
पारंपरिक उच्च कर दरों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण कर उछाल नहीं आया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में 1991 के बाद से सरकारों ने स्पष्ट रूप से मध्यम कर दरों की वकालत की है, जिससे अधिक पारदर्शिता तथा अनुपालन को बढ़ावा मिलता है।
पाकिस्तान अपनी कंगाली दूर करने के लिए आमजनों को गन्ने की तरह निचोड़ लेना चाहता है। यही वजह है कि 4.67 लाख रुपये की कमाई करने वाले पाकिस्तानियों से 45 फीसदी टैक्स वसूलने का प्लान बन रहा है। हालांकि अभी इस पर सहमति नहीं बनी है। अभी तक 5 लाख पर 35 फीसदी टैक्स वसूला जाता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने देश भर से 1100 करोड़ रुपये कैश-ज्वेलरी जब्त की है।
आपको सबसे पहले यह देखना है कि आप किस फॉर्म के लिए एलिजिबल हैं। यानी आपको कौन सा फॉर्म चुनना है। साथ ही ई-फाइलिंग पोर्टल पर रजिस्टर्ड आईडी और एक्टिव पैन कार्ड होना चाहिए ताकि आप अपना टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकें।
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