भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबार में 35877.41 का ऊपरी स्तर छुआ है और फिलहाल 134.19 प्वाइंट की बढ़त के साथ 35826.71 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी ने भी शुरुआती कारोबार में 10888.90 का ऊपरी स्तर छुआ है और फिलहाल 33.15 प्वाइंट की बढ़त के साथ 10876 पर कारोबार कर रहा है
मोदी सरकार के लिए आज दो महत्वपूर्ण खबरें आईं, जिसमें से एक राहत देने वाली है तो दूसरी आफत। अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जहां बढ़कर 4.9 प्रतिशत रही है, वहीं मई में रिटेल महंगाई दर भी बढ़कर 4.87 प्रतिशत हो गई है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 115 प्वाइंट की बढ़त के साथ 35558 पर कारोबार कर रहा है जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 33.90 प्वाइंट की तेजी के साथ 10801.55 पर ट्रेड हो रहा है
पूंजीगत सामान उत्पादन में गिरावट तथा खनन गतिविधियां कमजोर पड़ने के कारण देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) मार्च महीने में 4.4 प्रतिशत बढ़ा। औद्योगिक उत्पादन में पांच महीने में यह सबसे निम्न वृद्धि दर है।
आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
अप्रैल माह में मैक्रो डाटा ने मिश्रित संकेत दिए हैं। एक ओर जहां सीपीआई मुद्रास्फीति दर मार्च माह में घटकर 4.28 प्रतिशत रही, जो कि इससे पहले फरवरी माह में 4.48 प्रतिशत थी, वहीं दूसरी ओर फरवरी माह के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कमजोर रही।
महंगाई दर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े उम्मीद से अच्छे रहे हैं। जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई है जो अनुमान से कहीं ज्यादा है
आर्थिक मोर्चे पर सरकार को आज बड़ी राहत मिली है। फरवरी महीने में महंगाई की दर में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं देश में औद्योगिक उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर के लिए अच्छे संकेत हैं।
पेट्रोलियम रिफाइनरी और सीमेंट उत्पादन में जोरदार बढ़ोतरी से जनवरी महीने में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही है। समीक्षाधीन महीने में इस्पात, बिजली और कोयला उत्पादन में गिरावट आई।
देश के आठ प्रमुख उद्योगों की वृद्धि दर दिसंबर (2017) में घटकर 4 प्रतिशत पर आ गई, जबकि नवंबर (2017) के दौरान यह 7.4 प्रतिशत थी। आधिकारिक आंकड़ों से बुधवार को यह जानकारी मिली।
एचडीएफसी बैंक, आईटीसी और विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों तथा महंगाई के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।
नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। नवंबर के लिए आईआईपी का यह आंकड़ा अपने 17 माह के उच्च स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर नवंबर, 2017 में 6.8 प्रतिशत रही। यह एक साल से अधिक का उच्च स्तर है। एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की उत्पादन वृद्धि 3.2 प्रतिशत थी।
शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स 33,123.44 के निचले स्तर तक लुढ़क गया था और फिलहाल 28.33 प्वाइंट घटकर 33,199.16 पर कारोबार कर रहा है
विनिर्माण एवं खनन क्षेत्र में नरमी तथा टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद के उत्पादन में गिरावट के चलते अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर गिर कर 2.2 प्रतिशत पर आ गई।
बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अक्टूबर में 4.7 प्रतिशत रही। मुख्य रूप से सीमेंट, इस्पात और रिफाइनरी क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से वृद्धि दर कम हुई है।
आज जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (आईआईपी) दर नौ महीने के उच्च स्तर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नतीजों तथा औद्योगिक उत्पादन (IIP) और मुद्रास्फीति के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार को दिशा देंगे।
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