एचडीएफसी बैंक, आईटीसी और विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों तथा महंगाई के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।
नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। नवंबर के लिए आईआईपी का यह आंकड़ा अपने 17 माह के उच्च स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर नवंबर, 2017 में 6.8 प्रतिशत रही। यह एक साल से अधिक का उच्च स्तर है। एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की उत्पादन वृद्धि 3.2 प्रतिशत थी।
शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स 33,123.44 के निचले स्तर तक लुढ़क गया था और फिलहाल 28.33 प्वाइंट घटकर 33,199.16 पर कारोबार कर रहा है
विनिर्माण एवं खनन क्षेत्र में नरमी तथा टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद के उत्पादन में गिरावट के चलते अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर गिर कर 2.2 प्रतिशत पर आ गई।
बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अक्टूबर में 4.7 प्रतिशत रही। मुख्य रूप से सीमेंट, इस्पात और रिफाइनरी क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से वृद्धि दर कम हुई है।
आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के साथ-साथ टिकाऊ उपभोक्ता सामान खंड में गिरावट से भी आलोच्य महीने में औद्योगिक वृद्धि प्रभावित हुई।
आज जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (आईआईपी) दर नौ महीने के उच्च स्तर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नतीजों तथा औद्योगिक उत्पादन (IIP) और मुद्रास्फीति के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार को दिशा देंगे।
महंगाई दर 4 से 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से कम है। ऐसे में इस बात की संभावना बनी है कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें और घटा सकता है।
मई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 1.7 प्रतिशत रही, पिछले साल समान महीने में यह 8% पर थी। अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत थी।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 2.17% पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है।
खाने-पीने की वस्तुओं के सस्ता होने से रिटेल मुद्रास्फीति मई में रिकॉर्ड 2.18% के निम्न स्तर पर आ गई, वहीं अप्रैल में आईआईपी बढ़कर 3.1 प्रतिशत रहा।
देश की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 और 2016-17 के लिए नई IIP और GDP श्रृंखला के कारण संशोधित कर क्रमश: 8.3 फीसदी और 7.6 फीसदी किए जाने की संभावना है।
सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 कर दिया है। इनके लिए पहले आधार वर्ष 2004-05 था।
ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से रिटेल महंगाई मार्च में पिछले पांच माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
आर्थिक आंकड़ों, कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों और अमेरिका के सीरिया पर हमले से पैदा हुई भू राजनीतिक स्थिति से इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय होगी।
जनवरी में औद्योगिक उत्पादन (IIP) में तेजी लौटी है और इसमें सालाना आधार पर 2.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कैपिटल गुड्स सेगमेंट ने बेहतर प्रदर्शन किया।
सरकार नए आधार वर्ष 2011-12 के साथ दो वृहत आर्थिक संकेतक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को अप्रैल अंत तक जारी कर सकती है।
8 नवंबर को सरकार द्वारा की गई नोटबंदी की घोषणा का असर दिसंबर के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) पर बुरी तरह पड़ा है। दिसंबर में (-)0.4 फीसदी रहा है।
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