एनएसओ के बयान के अनुसार, सितंबर, 2024 के लिए आईआईपी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही है, जबकि अगस्त, 2024 में औद्योगिक उत्पादन 0.1 प्रतिशत घटा था।’’ चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर चार प्रतिशत रही है।
अक्टूबर 2023 में आईआईपी की पिछली उच्चतम वृद्धि 11.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो नवंबर में घटकर 2.5 प्रतिशत, दिसंबर में 4.2 प्रतिशत और जनवरी 2024 में 4.1 प्रतिशत हो गई थी।
नौकरी की राह देख रहे उम्मीदवारों के लिए एक जरूरी खबर है। सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून की तरफ से निकाली गई टेक्निकल असिस्टेंट समेत कई पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है। उम्मीदवार इस भर्ती के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2023 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.7 प्रतिशत बढ़ा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में नवंबर, 2022 में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं खनन उत्पादन 9.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी महीने में वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत
अप्रैल का यह आंकड़ा पिछले आठ महीने का सबसे उच्च स्तर है। इससे पहले अगस्त, 2021 में इसमें 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल नवंबर में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत बढ़ा।
डेटा के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट अक्टूबर 2021 में 2 फीसदी बढ़ा है। अक्टूबर में, माइनिंग सेक्टर के उत्पादन में 11.4 फीसदी का उछाल आया है।
सितंबर, 2021 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 2.7 प्रतिशत, खनन क्षेत्र का उत्पादन 8.6 प्रतिशत जबकि बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत बढ़ा।
माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन में तेजी से एक तरफ आईआईपी में बढ़त देखने को मिली है, वहीं दूसरी तरफ खाद्य कीमतों में नरमी से खुदरा महंगाई दर में भी कमी आई है।
जुलाई 2020 में आईआईपी में 10.5 फीसदी की गिरावट आई थी। इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान आईआईपी 34.1 फीसदी बढ़ा था। पिछले साल की समान अवधि में यह 29.3 प्रतिशत का संकुचन था।
भारत के औद्योगिक उत्पादन में मई के दौरान 29.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह पता चला।
पिछले पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आईआईपी में 8.6 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2019-20 में इसमें 0.8 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।
आईआईपी में चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल-जनवरी के दौरान 12.2 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि में 0.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई थी।
विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन नवंबर 2020 में 1.7 प्रतिशत घटा। खनन उत्पादन में भी 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी। हालांकि, बिजली उत्पादन 3.5 प्रतिशत बढ़ा। औद्योगिक उत्पादन इससे पहले सितंबर और अक्टूबर में बढ़ा था
सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के महीने में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में 0.2 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। अगस्त में IIP के लिए ये आंकड़ा निगेटिव 8 फीसदी का था। आईआईपी में ये सुधार बिजली और खनन क्षेत्र में रिकवरी की मदद से दर्ज हुआ है।
जुलाई के दौरान देश के औद्योगिक उत्पादन में लगातार पांचवे महीने गिरावट देखने को मिली है। आज जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के दौरान इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानि आईआईपी में 10.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। जून के दौरान इसमें 16.6 फीसदी की गिरावट थी।
मैन्युफैक्चरिंग, एनर्जी, और माइनिंग सेक्टर में दबाव
लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में कई जगह आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह बंद रहीं
मार्च के आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन शुरू होने से उत्पादन पर पड़ा बुरा असर
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