भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अगस्त के दौरान लगातार छठे महीने संकुचन देखने को मिला।
आईएचएस मार्किट ने कहा कि वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर गहरी मंदी का शिकार हो सकती है।
एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार देशव्यापी लॉकडाउन (बंद) के दौरान नागरिकों की आवाजाही पर कड़े प्रतिबंध और कारोबारों के बंद रहने का असर सेवा क्षेत्र पर भी पड़ा और क्षेत्र की गतिविधियां लगभग रुकी रहीं।
बाजार मांग में सुधार का असर दिखना शुरू हो गया है। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार जनवरी में देश की विनिर्माण गतिविधियां आठ साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गयी हैं।
कंपनियों के अनुसार भारत के सेवा क्षेत्र की कंपनियां विपणन के प्रयासों तथा अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों से 2020 में भी कारोबार तेज रहेगा।
चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है।
कारखानों के ऑर्डर एवं उत्पादन की वृद्धि दर के दो साल के निचले स्तर पर आ जाने से अक्टूबर महीने में भी विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती जारी रही।
स्मार्टफोन की वैश्विक बिक्री में लगातार सातवीं तिमाही गिरावट दर्ज की गई। साल 2019 की दूसरी तिमाही में बिक्री 3.6 फीसदी रही, जबकि कुल 33.12 करोड़ स्मार्टफोन्स की बिक्री हुई। आईएसएस मार्किट की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
एप्पल एक नए 5-जी फोल्डेबल आईपैड पर काम कर रहा है, जिसे अगले वर्ष लांच किया जा सकता है। यह बात एक मीडिया रिपोर्ट में कही गई है।
एप्पल अपने 16 इंच वाले मैकबुक प्रो को सितंबर में लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में भारत के दुनिया के 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है, इसके जीडीपी का कुल आकार बढ़कर 3 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाएगा
नए ऑर्डर के बढ़ने से सेवाओं के कारोबार में इस वर्ष जून में पुन: तेजी लौट आयी और इस क्षेत्र में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। निक्केई/आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में 52.6 के स्तर पर पहुंच गया जो जून 2017 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है।
भारत की सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में तीन महीने में पहली बार मई माह में गिरावट आई। एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नए कारोबारी ऑर्डरों के न बढ़ने और ईंधन की महंगाई से लागत का दबाव बढने से सेवा क्षेत्र में सुस्ती रही।
देश की विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र की गतिविधियां मार्च में गिरकर पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं। इसकी प्रमुख वजह नए ऑर्डर की धीमी रफ्तार और भर्ती प्रक्रिया को लेकर कपनियों की सुस्ती रही।
कारखानों में उत्पादन और नए कारोबारी ऑर्डर में वृद्धि की गति धीमी पड़ने से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों फरवरी में चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, जनवरी के मुकाबले इसमें गिरावट मामूली रही।
सालभर परेशानियों के दौर से जूझने वाले भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए 2017 का अंतिम महीना शानदार वृद्धि लाने वाला रहा। दिंसबर में परिचालन स्थितियां बेहतर रहने से यह पांच महीने के उच्च स्तर पर रहा।
देश में सितंबर में लगातार दूसरे माह मैन्युफैक्चरिंग PMI में तेजी का रुख रहा। नए ऑर्डर आने और उत्पादन बढ़ने से सितंबर में विनिर्माण गतिविधियां बेहतर रहीं।
नए ऑर्डर मिलने से जून माह के दौरान सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में जोरदार उछाल आया है और इस क्षेत्र का PMI आंकड़ा 53.1 अंक पर पहुंच गया।
ग्राहकों की मांग कमजोर रहने और GST से जुड़ी चिंताओं के चलते जून माह में विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ (मैन्युफैक्चरिंग PMI) चार माह के न्यूनतम स्तर तक गिर गई
देश का सर्विस सेक्टर PMI में लगातार दूसरे महीने बढ़ा। निक्केई सर्विसिज के मुताबिक फरवरी के मुकाबले मार्च में सर्विस सेक्टर PMI 50.3 से बढ़कर 51.5 हो गया है।
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